मनोविज्ञान, स्वास्थ्य देखभाल पाठ्यक्रम दूरस्थ शिक्षा या ऑनलाइन माध्यम से नहीं पढ़ाए जा सकते, यूजीसी का निर्देश
यूजीसी सचिव द्वारा शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे आगामी शैक्षणिक सत्र से ऐसे कार्यक्रमों में किसी भी विद्यार्थी को प्रवेश न दें।
Press Trust of India | August 24, 2025 | 04:53 PM IST
नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे 2025 के शैक्षणिक सत्र से मनोविज्ञान और पोषण समेत स्वास्थ्य सेवा एवं संबद्ध विषयों में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण (ओडीएल) या ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई की पेशकश नहीं करें। यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग (एनसीएएचपी) अधिनियम, 2021 के तहत आने वाले पाठ्यक्रमों पर लागू है। उनमें मनोविज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, खाद्य एवं पोषण विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, नैदानिक पोषण और आहार विज्ञान शामिल हैं।
यूजीसी सचिव ने कहा कि जुलाई-अगस्त 2025 से कोई भी कॉलेज या विश्वविद्यालय ओडीएल या ऑनलाइन तरीके से मनोविज्ञान या एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 के तहत शामिल किसी भी स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कोर्स की पढ़ाई नहीं करा सकेगा।
यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने आगे कहा, "जुलाई-अगस्त 2025 और उसके बाद के शैक्षणिक सत्र के लिए ऐसे कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए एचईआई को पहले से दी गई कोई भी मान्यता यूजीसी द्वारा वापस ले ली जाएगी।’’
शिक्षण संस्थानों को दिया गया निर्देश
सचिव ने कहा, ‘‘कला स्नातक (अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी, अर्थशास्त्र, इतिहास, गणित, लोक प्रशासन, दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान, सांख्यिकी, मानवाधिकार एवं कर्तव्य, संस्कृत, मनोविज्ञान, भूगोल, समाजशास्त्र, महिला अध्ययन) जैसे बहु-विशेषज्ञता वाले कार्यक्रमों के मामले में, केवल एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 में शामिल विशेषज्ञताओं को ही वापस लिया जाएगा।’’
शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे आगामी शैक्षणिक सत्र से ऐसे कार्यक्रमों में किसी भी विद्यार्थी को प्रवेश न दें। यह निर्णय व्यावसायिक प्रशिक्षण में गुणवत्ता मानकों को लेकर चिंताओं के बीच लिया गया है।
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मनीष जोशी ने कहा, ‘‘यह निर्णय अप्रैल 2025 में आयोजित 24वीं दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो कार्य समूह की बैठक की सिफारिशों के बाद लिया गया है और हाल में आयोग की बैठक में इसे औपचारिक रूप दिया गया।’’
उच्च शिक्षा नियामक दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन माध्यमों से व्यावसायिक और व्यावहारिक पाठ्यक्रमों के संचालन पर रोक लगाता है। इनमें इंजीनियरिंग, चिकित्सा, दंत चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, वास्तुकला, फिजियोथेरेपी, पैरामेडिकल विषय, कृषि, बागवानी, होटल प्रबंधन, खानपान प्रौद्योगिकी, दृश्य कला, कानून आदि शामिल हैं।
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