एमबीबीएस छात्रों के लिए गैर-चिकित्सा संकाय की नियुक्ति संबंधी याचिका पर केंद्र से मांगा गया जवाब

Press Trust of India | August 22, 2025 | 09:04 AM IST | 2 mins read

पीठ ने उस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें दावा किया गया था कि नियम चिकित्सा शिक्षा के मानकों को कमजोर कर रहे हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मामले की अगली सुनवाई अब सितंबर में की जाएगी। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मामले की अगली सुनवाई अब सितंबर में की जाएगी। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘‘एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी’’ जैसे विषयों के लिए एमबीबीएस छात्रों के वास्ते गैर-चिकित्सा संकाय की नियुक्ति की सीमा बढ़ाने वाली अधिसूचना के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र से बृहस्पतिवार (21 अगस्त) को जवाब तलब किया।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने उस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें दावा किया गया था कि ये नियम चिकित्सा शिक्षा के मानकों को कमजोर कर रहे हैं।

याचिका में मेडिकल संस्थानों में शिक्षक पात्रता योग्यता विनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की ओर से 2 जुलाई को जारी संशोधन अधिसूचना को रद्द करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है।

चिकित्सा शिक्षा के मानक हो रहे कमजोर

इसमें दावा किया गया है, “आपत्तिजनक नियम एमबीबीएस डिग्री और क्लीनिकल अनुभव के बिना व्यक्तियों को स्नातक चिकित्सा शिक्षा के लिए संकाय के रूप में नियुक्त करने की अनुमति देते हैं, जिससे चिकित्सा शिक्षा के मानक कमजोर होते हैं।"

साथ ही इससे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के वैधानिक आदेशों तथा एनएमसी की ओर से अपनाए गए योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई) पाठ्यक्रम का उल्लंघन होता है।

Also readNMC: देश में लगभग 8,000 यूजी, पीजी मेडिकल सीटें बढ़ने की उम्मीद, मेडिकल कॉलेजों का मूल्यांकन जारी- एनएमसी चीफ

मामले की अगली सुनवाई सितंबर में

याचिका में कहा गया है कि पहले गैर-चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति क्लीनिकल चरण-1 विभागों (एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी) में कुल संकाय संख्या के अधिकतम 15 प्रतिशत तक सीमित थी और केवल गुणवत्ता बनाए रखने के लिए चिकित्सा संकाय की अनुपलब्धता की स्थिति में ही इनकी (गैर-चिकित्सा शिक्षकों की) नियुक्ति की जाती थी।

इसमें कहा गया है कि हालांकि, दो जुलाई को जारी संशोधन अधिसूचना ने यह सीमा बढ़ाकर 30 फीसदी कर दी, जिससे नैदानिक पृष्ठभूमि या रोगी देखभाल प्रशिक्षण के बिना शिक्षकों के समानांतर, गैर-नैदानिक कैडर को वैधता मिल गई, जो गैर-चिकित्सा संकाय को पूरी तरह से समाप्त करने की वैध अपेक्षा के विपरीत है। मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी।

Download Our App

Start you preparation journey for JEE / NEET for free today with our APP

  • Students300M+Students
  • College36,000+Colleges
  • Exams550+Exams
  • Ebooks1500+Ebooks
  • Certification16000+Certifications