NLU Delhi: पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर नियुक्त किया गया
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली ने डी वाई चंद्रचूड़ की नियुक्ति की घोषणा करते हुए ‘एक्स’ पर जानकारी साझा की।
Press Trust of India | May 15, 2025 | 10:57 PM IST
नई दिल्ली: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू), दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया है। संस्थान ने इसे भारतीय विधि शिक्षा में एक ‘‘परिवर्तनकारी अध्याय’’ करार दिया है। चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 से 10 नवंबर 2024 तक भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली ने आज यानी 15 मई (बृहस्पतिवार) को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की नियुक्ति की घोषणा करते हुए ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘हम भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ डी वाई चंद्रचूड़ का राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली में प्रतिष्ठित प्रोफेसर के रूप में स्वागत करते हुए बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं।’’
एनएलयू के कुलपति जीएस बाजपेयी ने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक जुड़ाव भारतीय कानूनी शिक्षा में एक परिवर्तनकारी अध्याय का प्रतीक है, जो हमारे सबसे प्रगतिशील न्यायविदों में से एक को अगली पीढ़ी के कानूनी दिमागों का मार्गदर्शन करने के लिए लाता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की उपस्थिति हमारे शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र को और समृद्ध करेगी।’’
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संस्थान के आधिकारिक एक्स हैंडल पर किए गए पोस्ट में एनएलयू के कुलपति जीएस बाजपेयी के साथ चंद्रचूड़ की तस्वीर भी साझा की गई है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में दो साल के कार्यकाल के बाद नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे। उन्हें न्यायपालिका में एक प्रगतिशील आवाज के रूप में माना जाता है।
पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय में 13 मई 2016 से शुरू कार्यकाल में 38 संविधान पीठों में हिस्सा लिया तथा अयोध्या भूमि विवाद, सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, निजता के अधिकार तथा अनुच्छेद 370 को हटाने सहित कई मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले दिए।
कुलपति ने आगे बताया कि, एनएलयू दिल्ली जल्द ही संवैधानिक अध्ययन केंद्र (Centre for Constitutional Studies) स्थापित करेगा, जिसके प्रमुख डी वाई चंद्रचूड़ होंगे। संवैधानिक अध्ययन केंद्र में संवैधानिक नैतिकता, परिवर्तनकारी संवैधानिकता और मौलिक अधिकारों की व्याख्या पर शोध किया जाएगा।
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