खरगे ने दावा किया कि व्यापक उदासीनता के कारण सीखने का स्तर गिर रहा है और मोदी सरकार देश के भविष्य के प्रति उदासीन बनी हुई है।
Santosh Kumar | July 12, 2025 | 05:04 PM IST
नई दिल्ली: स्कूली शिक्षा की स्थिति से जुड़े एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज (12 जुलाई) दावा किया कि इस चिंताजनक स्थिति के प्रति नरेंद्र मोदी सरकार का रवैया उदासीन है। उन्होंने 'परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024' का हवाला देते हुए कहा कि कक्षा 3 के 40 प्रतिशत बच्चे अक्षरों की सही पहचान नहीं कर पाते और कक्षा 6 के 44 प्रतिशत बच्चों को सरल शब्दों के अर्थ की जानकारी नहीं है।
खरगे ने कहा कि आज स्कूली शिक्षा की स्थिति कोविड से पहले से भी बदतर हो गई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि 'परीक्षा पे चर्चा' और 'एग्जाम वॉरियर्स' जैसे प्रचार कार्यक्रम देश की शिक्षा व्यवस्था की गंभीर सच्चाई को नहीं छिपा सकते।
उन्होंने दावा किया कि व्यापक उदासीनता के कारण सीखने का स्तर गिर रहा है और मोदी सरकार देश के भविष्य के प्रति उदासीन बनी हुई है। बता दें कि हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 रिपोर्ट जारी की है।
'परख' राष्ट्रीय सर्वेक्षण, जिसे पहले एनएएस कहा जाता था, 4 दिसंबर 2023 को हुआ। इसमें 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 74,229 स्कूलों के कक्षा 3, 6 और 9 के 21 लाख से अधिक छात्रों को शामिल किया गया।
इसे एनसीईआरटी द्वारा लॉन्च किया गया है और इसे एनईपी 2020 के अनुरूप तैयार किया गया है। नीति स्कूली शिक्षा को 4 चरणों में विभाजित करती है: फाउंडेशनल (प्री-स्कूल से कक्षा 2 तक), प्रारंभिक (3-5), माध्यमिक (6-8), और माध्यमिक (9-12)।
सर्वेक्षण के अनुसार, जैसे-जैसे छात्र कक्षा 1-2 में आगे बढ़ते हैं, उनका औसत प्रदर्शन गिरता जाता है। उदाहरण के लिए, जहां कक्षा 3 के बच्चे गणित में औसतन 60% अंक प्राप्त करते थे, वहीं कक्षा 9 में यह घटकर केवल 37% रह गया।
'परख' राष्ट्रीय सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि अच्छे अंक प्राप्त करने वाले छात्र आमतौर पर ऐसे परिवारों से आते हैं जहां माता-पिता शिक्षित होते हैं। उदाहरण- कक्षा 9 में अच्छा प्रदर्शन करने वाले 5 में से एक छात्र की मां स्नातक है।
जबकि खराब प्रदर्शन करने वाले 20 छात्रों में से केवल एक की मां स्नातक है। सर्वे में देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के 781 जिलों के 74,229 स्कूलों को शामिल किया गया। कक्षा 6 के केवल 53% छात्र ही 10 तक का पहाड़ा जानते हैं।