केंद्र सरकार ने कहा- एससी, एसटी छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं
Press Trust of India | July 22, 2025 | 05:41 PM IST | 3 mins read
इस योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना है ताकि उन्हें उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकें, उच्च शिक्षा में उनकी उपलब्धि दर में वृद्धि हो सके और उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हो सके।
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति या अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि क्या यह योजना 2025-26 से आगे जारी रहेगी। यह योजना राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के माध्यम से क्रियान्वित की जाती है। सभी छात्र आधिकारिक वेबसाइट www.scholarships.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
लोकसभा में एक लिखित जवाब में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि योजना का उद्देश्य उच्च शिक्षा में एससी और एसटी छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाना है और इस योजना को बंद करने की कोई योजना नहीं है।
दोनों योजनाएं वर्तमान में कैबिनेट और व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित वित्त पोषण और पात्रता मापदंडों के साथ कार्यान्वित की जा रही हैं, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक मान्य हैं। एससी और एसटी छात्रों के लिए केंद्र-राज्य के वित्त पोषण पैटर्न अलग-अलग हैं। एससी छात्रों के लिए, केंद्र और राज्यों के बीच कॉस्ट-शेयरिंग रेसियो 60:40 है, पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर, जहां यह 90:10 है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय 75 प्रतिशत राशि राज्य सरकारों या केंद्र शासित प्रदेशों को जारी करता है, जो शेष 25% का योगदान करते हैं और पूरी राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से एक ही किश्त में छात्रों को हस्तांतरित करते हैं।
Post-Matric Scholarship: फंड-शेयरिंग अनुपात
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के माध्यम से छात्रों के आधार-संबद्ध बैंक खातों में सीधे केंद्रीय अंशदान जारी करता है, लेकिन राज्य द्वारा अपना 40 प्रतिशत अंशदान जारी करने के बाद ही। अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए, केंद्र और राज्यों के बीच फंड-शेयरिंग अनुपात 75:25 है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय 75 प्रतिशत राशि राज्य सरकारों या केंद्र शासित प्रदेशों को जारी करता है, जो शेष 25 प्रतिशत का योगदान करते हैं और पूरी राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से एक ही किश्त में छात्रों को हस्तांतरित करते हैं।
Post-Matric Scholarship: योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना है ताकि उन्हें उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकें, उच्च शिक्षा में उनकी उपलब्धि दर में वृद्धि हो सके और उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हो सके।
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Post-Matric Scholarship: पात्रता मानदंड
- कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं में पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी जिसमें इस स्तर के तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैसे पॉलिटेक्निक, आईटीआई और अन्य पाठ्यक्रम शामिल हैं।
- एक छात्र केंद्र सरकार की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक के लिए छात्रवृत्तियों में से केवल एक के लिए पात्र होगा।
- एक परिवार के दो से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं दी जाएगी।
- छात्र के माता-पिता/अभिभावक के संबंध में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार के किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र आवश्यक है।
- 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके छात्र से स्व-प्रमाणित सामुदायिक प्रमाण पत्र आवश्यक है।
- अन्य छात्रों के लिए छात्र के माता-पिता/अभिभावक द्वारा प्रमाणित सामुदायिक प्रमाण पत्र आवश्यक है।
- छात्रों की उपस्थिति नियमित होनी चाहिए, जिसके लिए मानदंड विद्यालय के सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय किया जाएगा।
- विद्यालय/संस्थान स्थायी पते और माता-पिता के पते के आधार पर संबंधित विद्यालय/संस्थान के छात्रावास में न रहने वाले छात्र के बाहरी छात्र होने के दावे को प्रमाणित करेगा।
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