Ayodhya Study Centre: डीडीयू विश्वविद्यालय गोरखपुर में ‘अयोध्या अध्ययन केंद्र’ की होगी स्थापना

उत्तर प्रदेश के दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में ‘अयोध्या अध्ययन केंद्र’ (सीएसए) की स्थापना की जाएगी। यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग में इसकी स्थापना की जाएगी।

स्नातकोत्तर छात्रों के लिए 'अयोध्या की ऐतिहासिकता' नामक पाठ्यक्रम शामिल किया जाएगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Abhay Pratap Singh | January 23, 2024 | 12:51 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (डीडीयू) में ‘अयोध्या अध्ययन केंद्र’ की स्थापना की जाएगी। जो आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व आधुनिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होने की ऐतिहासिक यात्रा के कई पहलुओं पर अध्ययन को प्रोत्साहित करेगा।

'अयोध्या अध्ययन केंद्र' (सीएसए) विभिन्न विभागों में अयोध्या और भगवान श्रीराम से संबंधित पाठ्यक्रमों, शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने और उनमें समन्वय स्थापित करने का कार्य करेगा। यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि यह विभाग प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग में स्थापित किया जाएगा।

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा, “हमारा विश्वविद्यालय महापुरुषों के जन्मस्थान और महत्वपूर्ण स्थानों से घिरे पूर्वांचल क्षेत्र में अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। जिसका संबंध महान धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों से है।”

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प्रो. टंडन ने बताया कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या 134 किमी दूर है, गौतम बुद्ध का 'परिनिर्वाण स्थल' कुशीनगर सिर्फ 55 किमी व उनकी जन्मस्थली लुंबिनी 122 किमी दूर है और संत कबीर की समाधि स्थल 30 किमी दूर है। छात्रों और शोधकर्ताओं को इन महापुरुषों के जीवन के बारे में और अधिक जानने और उनके योगदान का अध्ययन करने के लिए सीएसए एक मंच प्रदान करेगा।

उन्होंने आगे कहा कि 'अयोध्या अध्ययन केंद्र' की स्थापना प्राचीन इतिहास, पुरातत्व और संस्कृति विभाग में की जाएगी। इस केंद्र का उद्देश्य अयोध्या को एक प्राचीन शहर से आधुनिक तीर्थ और पर्यटन स्थल में बदलने से संबंधित विषयों पर अध्ययन को बढ़ावा देना है।

विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 से इतिहास की पढ़ाई करने वाले स्नातकोत्तर छात्रों के लिए 'अयोध्या की ऐतिहासिकता' नामक पाठ्यक्रम शामिल करने की घोषणा की है। यह पाठ्यक्रम पूर्व-वैदिक काल से लेकर समकालीन दिनों तक अयोध्या की ऐतिहासिक यात्रा का पता लगाएगी। प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग तथा मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग द्वारा इसका संचालन किया जाएगा।

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