AIBE Cut-Off Plea: 'वकील बनना है तो पढ़ो भाई...'; सीजेआई ने खारिज की कट-ऑफ मार्क्स कम करने की याचिका

Santosh Kumar | July 9, 2024 | 08:35 PM IST | 1 min read

सीजेआई ने कहा कि सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 45 और एससी/एसटी के लिए 40 निर्धारित किया गया है। अगर कोई इतना स्कोर नहीं कर सकता तो वह क्या वकील बनेगा?

सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट कहा, "कटऑफ को और कम नहीं किया जा सकता है।" (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज (9 जुलाई) अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) के लिए कट-ऑफ मार्क्स कम करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कट-ऑफ कम करने से बार में भर्ती होने वाले वकीलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ताओं से यह भी कहा कि अगर आप वकील बनना चाहते हैं, तो आपको पढ़ाई करनी होगी।

लाइव लॉ के अनुसार, याचिका में एआईबीई के लिए कटऑफ मार्क्स सामान्य वर्ग और ओबीसी के लिए 40 प्रतिशत और एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए 35 प्रतिशत करने की मांग की गई थी, जिस पर सीजेआई ने कहा कि सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 45 और एससी/एसटी के लिए 40 रखा गया है। अगर कोई इतना स्कोर नहीं कर सकता तो क्या वकील बनेगा? उन्होंने कहा, 'पढ़ाई करो भाई!'

सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट कहा, "कटऑफ को और कम नहीं किया जा सकता है।" बता दें कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) भारतीय न्यायालयों में वकालत करने के लिए उम्मीदवारों को सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस (सीओपी) प्रदान करने के लिए अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) आयोजित करता है।

Also read AIBE 18 Result 2024: ऑल इंडिया बार परीक्षा 18वीं रिजल्ट allindiabarexamination.com पर जारी

सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) के तहत हाल ही में प्राप्त जवाब के अनुसार, 10 दिसंबर, 2023 को आयोजित अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई-18) के 18वें संस्करण में केवल 48.36% उम्मीदवार ही उत्तीर्ण हुए हैं।

बीसीआई ने खुलासा किया था कि कुल 1,48,781 उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था, जिनमें से 1,44,014 उपस्थित हुए। उपस्थित होने वाले लोगों में से 69,646 (48.36%) पास हुए और 74,368 (51.64%) असफल रहे।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में बीसीआई द्वारा आयोजित एआईबीई के लिए आवेदन शुल्क में कमी की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर महादेवन और न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन की पीठ ने यह फैसला सुनाया।

[

विशेष समाचार

]
[

नवीनतम शिक्षा समाचार

]