Ravenshaw University: धर्मेंद्र प्रधान ने 156 साल पुराने रेवेंशा विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव दिया

रेवेंशा कॉलेज, कटक (ओडिशा) की स्थापना सन् 1868 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। इसे साल 2006 में विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रेवंशा गर्ल्स स्कूल का भी दौरा किया। (स्त्रोत- आधिकारिक 'एक्स'/प्रधान)

Press Trust of India | September 1, 2024 | 12:13 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार (1 सिंतबर 2024) को ओडिशा के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में से एक रेवेंशा विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव दिया। हालांकि, धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया कि 156 साल पुराने संस्थान का नाम बदलने का सुझाव उनकी निजी राय है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कटक में स्वशासन दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘नाम परिवर्तन की आवश्यकता है। रेवेंशा, जिनके नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, उन्होंने अकाल के दौरान जो किया, उससे ओडिशा के लोगों को नुकसान हुआ।’’

प्रधान ने कहा, ‘‘अकाल में ओडिशा के कई लोग मारे गए थे। यह आपदा ब्रिटिश अधिकारियों की प्रशासनिक विफलता के कारण आई थी, जिनमें टी.ई. रेवेंशा भी शामिल थे। ओडिशा के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का नाम ब्रिटिश आयुक्त के नाम पर क्यों रखा जाना चाहिए? ओडिशा के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए।’’

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संबलपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद ने यह भी बताया कि 1866 का विनाशकारी अकाल ओडिशा के तत्कालीन आयुक्त टी.ई. रेवेंशा के कार्यकाल में पड़ा था। कटक में रेवेंशा कॉलेज की स्थापना सन् 1868 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। इसे 2006 में विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

प्रधान ने ‘एक्स’ पर लिखा, “कटक के रेवेंशा गर्ल्स स्कूल का दौरा किया और शिक्षकों व अभिभावकों से बात की। कटक जिला प्रशासन को इस शैक्षणिक संस्थान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए स्कूल भवन, कक्षाओं और छात्रावास के विकास के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करने की सलाह दी।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ‘कटक आर्ट गैलरी’ का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि हमारी कला, संस्कृति, वास्तुकला और इतिहास ओडिशा की विशिष्ट पहचान है। कटक जैसे ऐतिहासिक शहर में इस अत्याधुनिक गैलरी में प्रदर्शित रचनात्मक पेंटिंग, तस्वीरें और कला सामग्री कला प्रेमियों को आकर्षित करेंगी और कला के विकास में योगदान देंगी।

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