Education News: भारत शिक्षा को दुनिया के साथ अधिक सहयोग बढ़ाने के प्रमुख माध्यम के रूप में देखता है - जयशंकर

शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में से एक साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारत में अपना पहला परिसर स्थापित करेगा।

भारत के विदेश मंत्री ने सुषमा स्वराज भवन में आयोजित कार्यक्रम में यह जानकारी दी। (स्त्रोत-आधिकारिक 'एक्स'/एस जय शंकर)भारत के विदेश मंत्री ने सुषमा स्वराज भवन में आयोजित कार्यक्रम में यह जानकारी दी। (स्त्रोत-आधिकारिक 'एक्स'/एस जय शंकर)

Press Trust of India | August 30, 2024 | 11:21 AM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार (29 अगस्त) को कहा कि भारत आज शिक्षा को देश और दुनिया के बीच अधिक सहयोग बढ़ाने के एक ‘‘प्रमुख माध्यम’’ के रूप में देखता है। उन्होंने साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय को आशय पत्र सौंपने के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही।

केंद्रीय मंत्री जयशंकर ने अपने संबोधन में बताया कि साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत भारत में एक परिसर स्थापित करेगा। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा, ‘‘आज हम भारत में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि देख रहे हैं।’’

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जयशंकर ने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय को आशय पत्र सौंपे जाने के अवसर पर उपस्थित होकर प्रसन्नता हुई। जो NEP 2020 के अंतर्गत भारत में एक परिसर स्थापित करेगा। मुझे विश्वास है कि इस तरह के प्रयास हमारे युवाओं को विश्व के लिए तैयार करेंगे तथा वैश्विक समझ और सहयोग की भावना को बढ़ावा देंगे।”

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उन्होंने कहा कि विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में से एक साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय भारत में अपना पहला परिसर स्थापित करेगा। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘‘आज का कार्यक्रम भारत और ब्रिटेन के बीच मजबूत और बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों का भी प्रमाण है, जिसमें शिक्षा विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इस प्रगति के केंद्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 है।’’

सुषमा स्वराज भवन में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा कि यह महज एक नीति नहीं है, बल्कि यह वास्तव में भारत में शिक्षा के भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण है, जो हमारे मानकों को उच्चतम वैश्विक स्तर तक बढ़ाने की आकांक्षा रखता है।

जयशंकर ने आगे कहा, ‘‘इसका उद्देश्य भारत को उत्कृष्टता का केंद्र बनाना, दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित करना, विदेशी विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना करना और हमारे छात्रों और संकायों के बीच वैश्विक दक्षताओं को बढ़ावा देना है। आज हम शिक्षा को भारत और विश्व के बीच अधिक गहन सहयोग को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में देखते हैं।’’

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