‘वन टाइम रजिस्ट्रेशन’ पोर्टल पर पंजीकरण के समय अभ्यर्थियों की पहचान के सत्यापन के लिए स्वैच्छिक आधार पर आधार-प्रमाणीकरण करने की अनुमति है।
Press Trust of India | August 29, 2024 | 09:22 AM IST
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पहली बार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को पंजीकरण के समय तथा परीक्षाओं और भर्ती के विभिन्न चरणों के दौरान स्वैच्छिक आधार पर अभ्यर्थियों की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण की अनुमति दे दी है। यूपीएससी को यह अनुमति बीते बुधवार यानी 28 अगस्त को दी गई है।
यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आयोग ने पिछले महीने परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की प्रोविजनल उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। इसके अलावा, योग्यता से परे सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी से प्रयास करने के लिए उन पर भविष्य की सभी परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लगा दी थी।
खेडकर पर अन्य आरोपों के अलावा दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) कोटा का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया गया है। हालांकि, ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर ने अपने निलंबन को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। खेडकर ने कहा कि, यूपीएससी के पास उनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार नहीं है।
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कार्मिक मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि, “यूपीएससी को ‘वन टाइम रजिस्ट्रेशन’ पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षा/भर्ती परीक्षा के विभिन्न चरणों में अभ्यर्थियों की पहचान के सत्यापन के लिए स्वैच्छिक आधार पर आधार प्रमाणीकरण करने की अनुमति है, जिसके लिए हां/ नहीं या और ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग किया जाएगा।”
बता दें कि, यूपीएससी ने 31 जुलाई को पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करते हुए भविष्य में किसी भी परीक्षा में उनके शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। पूजा खेडकर पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चयन होने और शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगने के बाद आयोग द्वारा यह कार्रवाई की गई थी।
पूजा खेडकर ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा कि उन्होंने यूपीएससी के समक्ष अपना नाम गलत तरीके से पेश नहीं किया। इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21 अगस्त 2024 तक रोक लगा थी। वहीं, दिल्ली पुलिस ने धोखाधड़ी से सिविल सेवा परीक्षा पास करने के आरोप में पूजा खेडकर पर केस दर्ज किया है।