फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रोफेसर घाटु सुभाष इस वर्ष दुनिया भर के विभिन्न प्रतिष्ठित सम्मेलनों में सबसे अधिक मांग वाले लेक्चरर हैं और 'राइडिंग द वेव्स फॉर डिजाइनिंग इनोवेटिव एक्सपेरिमेंट्स एंड प्रोबिंग मटेरियल बिहेवियर्स' विषय पर 22 अक्टूबर को एक लेक्चरर देंगे।
Saurabh Pandey | October 21, 2024 | 03:28 PM IST
नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) एशियन सोसाइटी ऑफ एक्सपेरीमेंटल मैकेनिक्स (एएसईएम) और इंडियन सोसाइटी फॉर एप्लाइड मैकेनिक्स (आईएसएएम) के साथ संयुक्त रूप से 20 से 23 अक्टूबर तक एक्सपेरीमेंटल मैकेनिक्स 2024 पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
इस सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, जिसमें प्रोफेसर एस. पांडियन, पूर्व निदेशक सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर, इसरो द्वारा संचालित 'डिजाइन सत्यापन' भी शामिल है। यह इसरो जैसे संगठनों और रक्षा एवं परमाणु क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है।
एक्सपेरीमेंटल दृष्टिकोण किसी भी डिजाइन को सत्यापित और मान्य करने के लिए अंतिम लिटमस टेस्ट है। इस सत्र में इसके महत्व को उजागर करने वाले योगदानों की अधिकतम संख्या है और इनमें से कई उपरोक्त विभिन्न राष्ट्रीय क्षेत्रों के साथ-साथ उद्योगों से भी हैं।
इस सम्मेलन के दौरान 'इन-सीटू मापन' पर एक सत्र भी आयोजित किया जा रहा है, जिसका उपयोग कठिन इलाकों में निर्मित महत्वपूर्ण संरचनाओं की निगरानी के लिए किया जाता है। इस तकनीक ने संक्षारण के कारण विकसित किसी भी संरचनात्मक कमी के लिए पम्बन ब्रिज की स्वास्थ्य निगरानी में मदद की है। इस परियोजना के आर्किटेक्ट, प्रोफेसर यू. सरवनन, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास एक लेक्चर देंगे, जिससे छात्रों को बहुत लाभ होगा और उन्हें अपने करियर में राष्ट्रीय महत्व की जटिल परियोजनाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
प्रोफेसर वी. कामकोटि, निदेशक, आईआईटी मद्रास ने प्रोफेसर यू-लुंग लो, अध्यक्ष, एशियन सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल मैकेनिक्स (एएसईएम), प्रोफेसर के. रमेश, एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास, आईआईटी मद्रास के छात्रों और शोधकर्ताओं के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, वियतनाम, भारत और अन्य एशियाई देशों के प्रतिनिधिसम्मेलन अध्यक्ष की उपस्थिति में कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया।
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आईआईटी मद्रास के एप्लाइड मैकेनिक्स और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर के. रमेश ने कहा कि यह पहली बार है कि एक मंच पर, ठोस, तरल पदार्थ और जैव क्षेत्रों के विशेषज्ञों को दुनिया भर में एक साथ लाया गया है।
ऑप्टिकल प्रिसिजन मेट्रोलॉजी और डिजिटल फोटोइलास्टिसिटी पर सत्र सौर पैनलों पर माप के साथ-साथ सेमी-कंडक्टरों की प्रक्रिया की निगरानी को बढ़ाएंगे, जिन पर मेक इन इंडिया में वर्तमान में जोर दिया जा रहा है। ऑप्टिकल डायग्नोस्टिक्स, फ्लो विज़ुअलाइज़ेशन और पीआईवी, श्लीरेन और शैडोग्राफ जैसे द्रव यांत्रिकी पर सत्र रॉकेट मोटर्स, अंतरिक्ष यान और विभिन्न एयरोस्पेस प्रणालियों के साथ-साथ रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक और प्रक्रिया उद्योगों जैसे कई अन्य अनुप्रयोगों के डिजाइन और अनुकूलन में बहुत उपयोगी होंगे।