H1B VISA: एच-1बी नीति से प्रभावित लोगों को शिक्षा ऋण भुगतान में 5 साल की दी जाए मोहलत - कांग्रेस सांसद

Press Trust of India | September 25, 2025 | 05:28 PM IST | 2 mins read

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि मध्यम-वर्गीय और निम्न-आय वाले परिवारों के छात्र पढ़ाई के बाद रोजगार पाने और समय के साथ अपने ऋण चुकाने की उम्मीद के आधार पर अपनी शिक्षा का चुनाव करते हैं।

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में यह आग्रह किया है। (इमेज-एक्स/मणिकम टैगोर)

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि उन लोगों को शिक्षा ऋण भुगतान पर 5 साल की मोहलत दी जाए, जो नौकरी के प्रस्ताव मिलने के बावजूद एच-1बी वीज़ा हासिल किए बिना भारत लौट आए हैं। उन्होंने अमेरिका द्वारा एच-1बी वीज़ा शुल्क 1,00,000 डॉलर किए जाने के मद्देनजर यह आग्रह किया।

टैगोर ने प्रधानमंत्री को यह पत्र 22 सितंबर को लिखा था और इसे उन्होंने 25 सितंबर को ‘एक्स’ पर साझा किया। टैगोर ने पत्र में अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे भारतीय छात्रों के बीच बढ़ती चिंता को रेखांकित किया, जो एच-1बी वीज़ा प्रक्रिया से जुड़ी चुनौतियों के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।

तमिलनाडु के विरुद्धनगर से सांसद ने कहा, “एच-1बी वीज़ा प्राप्त करने की लागत में हाल ही में हुई बढ़ोतरी के कारण, जिन छात्रों ने पहले ही भारी-भरकम शिक्षा ऋण ले रखा है और अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अपनी ट्यूशन फीस का भुगतान कर दिया है, उन पर अतिरिक्त और अप्रत्याशित वित्तीय दबाव बढ़ गया है।”

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उनका कहना था कि यह स्थिति न केवल इस वर्ष स्नातक करने वालों को प्रभावित करती है, बल्कि उन लोगों को भी प्रभावित करती है जो अमेरिका में बहु-वर्षीय पाठ्यक्रम में पढ़ाई कर रहे हैं और एच-1बी वीज़ा के तहत रोज़गार के लिए वहीं रहने का इरादा रखते हैं।

टैगोर ने कहा कि मध्यम-वर्गीय और निम्न-आय वाले परिवारों के छात्र पढ़ाई के बाद रोज़गार पाने और समय के साथ अपने ऋण चुकाने की उम्मीद के आधार पर अपनी शिक्षा का चुनाव करते हैं।

कांग्रेस सांसद ने उन छात्रों के लिए शिक्षा ऋण (ब्याज सहित) के पुनर्भुगतान पर पांच साल की मोहलत की मांग की, जो नौकरी के प्रस्ताव मिलने के बावजूद एच-1बी वीज़ा हासिल किए बिना भारत लौट आए हैं। टैगोर ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों को ऐसे मामलों में रिजर्व बैंक के मार्गदर्शन में संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश देने की भी मांग की।

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