NIT Jamshedpur Convocation 2025: शिक्षण संस्थान प्रमुख रिसर्च सेंटर और ‘बौद्धिक प्रयोगशालाएं’ भी हैं - मुर्मू
Abhay Pratap Singh | December 30, 2025 | 12:41 PM IST | 2 mins read
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, बिना मन लगा कर किया गया आविष्कार केवल एक मशीन ही बना सकता है, जबकि मन से प्रेरित नवाचार समाज के लिए वरदान साबित होता है।
नई दिल्ली: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जमशेदपुर (NIT Jamshedpur) में आयोजित 15वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थान केवल शिक्षा और डिग्री प्रदान करने के केंद्र नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्र के प्रमुख अनुसंधान केंद्र और ‘बौद्धिक प्रयोगशालाएं’ भी हैं। यहीं पर देश के भविष्य का दृष्टिकोण आकार लेता है।
अपने संबोधन में कहा, वर्तमान में टेक्नोलॉजी में बदलाव की इतनी गति शायद पहले कभी नहीं देखी गई। ये बदलाव नए अवसर पैदा कर रहे हैं, साथ ही नई चुनौतियां भी खड़ी कर रहे हैं। तकनीकी प्रगति से शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, संचार और ऊर्जा उत्पादन में बदलाव आ रहे हैं। हालांकि, आधुनिक तकनीकों के दुरुपयोग से साइबर अपराध और ई-कचरे से पर्यावरण को होने वाला नुकसान बढ़ रहा है।
एनआईटी जमशेदपुर जैसे हितधारकों से उम्मीद की जाती है कि वे आम जनता और समाज पर आधुनिक टेक्नोलॉजी के नकारात्मक प्रभावों को नियंत्रित करने और कम करने में भाग लें। उन्हें न सिर्फ समाधान खोजने चाहिए, बल्कि इन समाधानों को स्थायी और टिकाऊ बनाने के लिए अन्य संस्थानों और उद्योगों के साथ सहयोग भी करना चाहिए।
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राष्ट्रपति ने आगे कहा, एनआईटी जैसे संस्थानों से शिक्षित इंजीनियरों को राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभानी चाहिए, जो तकनीकी प्रगति का उपयोग मानव कल्याण के रूप में करें। किसी भी हायर एजुकेशन संस्थान का आकलन उसकी रैंकिंग या रोजगार प्रदान करने के आधार पर नहीं, बल्कि संस्थान और उसके छात्रों द्वारा समाज व राष्ट्र के प्रति किए गए योगदान के आधार पर भी किया जाना चाहिए।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार के प्रयासों की वजह से पारंपरिक क्षेत्रों के साथ-साथ रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे नॉन-ट्रेडिशनल सेक्टर भी युवाओं को उद्यम शुरू करने के मौके दे रहे हैं। एनआईटी जमशेदपुर के छात्रों जैसे टेक्नोलॉजिकली स्किल्ड युवा इन अवसरों का उपयोग करके न सिर्फ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार पैदा कर सकते हैं।
आईआईएम जमशेदपुर के 15वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है। शिक्षा और ज्ञान तभी उपयोगी माने जाएंगे जब उनका लाभ आम जनता तक पहुंचे। आगे कहा, बिना मन लगा कर किया गया आविष्कार केवल एक मशीन ही बना सकता है, जबकि मन से प्रेरित नवाचार समाज के लिए वरदान साबित होता है।
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