UNICEF SOWC 2024 Report: यूनिसेफ ने जारी की द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 रिपोर्ट
लगभग 100 करोड़ बच्चे पहले से ही जलवायु संबंधी खतरों के अधिक जोखिम वाले देशों में रहते हैं। अगर कोई बड़ा हस्तक्षेप नहीं होता है तो यह आंकड़ा और भी अधिक हो जाएगा। बच्चे जलवायु और पर्यावरणीय संकट के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, विशेष रूप से वे बच्चे जो ग्रामीण और कम आय वाले समुदाय में रहते हैं।
Saurabh Pandey | November 21, 2024 | 11:26 AM IST
नई दिल्ली : यूनिसेफ ने वैश्विक फ्लैगशिप रिपोर्ट 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024' जारी कर दी है। 'बदलती दुनिया में बच्चों का भविष्य' शीर्षक से इस रिपोर्ट को यूनिसेफ के भारत प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्रे (Cynthia McCaffrey) ने द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (TERI) के पृथ्वी विज्ञान और जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के निदेशक सुरुचि भदवाल के साथ जारी किया। इस दौरान यूनिसेफ इंडिया के अधिवक्ता कार्तिक वर्मा और बच्चे भी उपस्थित रहे।
यूनिसेफ की रिपोर्ट में मध्य शताब्दी में बच्चों के जीवन में आने वाले बदलावों का खाका खींचने का प्रयास किया गया। यह रिपोर्ट 2050 के दशक में तीन वैश्विक स्तर के बड़े प्रचलन/प्रवृत्ति (megatrends) का उल्लेख करती है, जिनमें जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु और पर्यावरणीय संकट तथा सीमांत प्रौद्योगिकियों पर रिसर्च की गई है। इन अध्ययनों के आधार पर वर्तमान और इस सदी के मध्य के बीच (अब से 2050 तक) बच्चों का जीवन, उनके अधिकार और बच्चों के लिए अवसर नए स्वरूप में होंगे।
यूनिसेफ भारत की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्रे ने रिपोर्ट में जारी अनुमानों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024' रिपोर्ट में उल्लेखित तीन मेगाट्रेंड हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि बेहतर होती दुनिया में हम कैसे एक शानदार भविष्य बना सकते हैं, जहां हर बच्चा अपने अधिकारों को सुरक्षित कर सके।
बच्चों की आबादी दुनिया में लगभग 2.3 बिलियन होने का अनुमान
'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन' रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया में बच्चों की आबादी लगभग 2.3 बिलियन (230 करोड़) हो जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि 2050 तक बच्चों की वैश्विक जनसंख्या में एक-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान की होगी।
2050 में भारत में बच्चों की आबादी 35 करोड़
आज की तुलना में 2050 में भारत में बच्चों की आबादी 35 करोड़ होगी। बच्चों की बढ़ती आबादी के साथ नित नई चुनौतियां भी बढ़ेंगी। इसलिए इन चुनौतियों से निपटने के लिए बच्चों और युवाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कौशल विकास में अधिक निवेश करना बहुत जरूरी है।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई
द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (TERI) के पृथ्वी विज्ञान और जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के निदेशक सुरुचि भदवाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, दोनों माध्यम से अलग-अलग प्रभाव डालता है, जिससे वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बच्चों को शामिल करने की सख्त जरूरत है। बच्चे परिवर्तन के सक्रिय एजेंट बनकर जलवायु एजेंडे में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 100 करोड़ बच्चे पहले से ही जलवायु संबंधी खतरों के अधिक जोखिम वाले देशों में रहते हैं। अगर कोई बड़ा हस्तक्षेप नहीं होता है तो यह आंकड़ा और भी अधिक हो जाएगा। बच्चे जलवायु और पर्यावरणीय संकट के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, विशेष रूप से वे बच्चे जो ग्रामीण और कम आय वाले समुदाय में रहते हैं।
जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों से बहुत अधिक गर्मी, बाढ़, जंगल में आग और चक्रवात जैसी घटनाओं में आठ गुना वृद्धि होने का अनुमान है और इनका सीधा असर बच्चों पर पड़ेगा। ये जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियां बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और शुद्ध पेयजल जैसी मूलभूत जरूरतों पर विपरीत असर डालेंगी। इससे हमारे बच्चे ना केवल कमजोर होंगे, बल्कि उनका भविष्य भी अंधकारमय होगा।
जलवायु जोखिम सूचकांक में भारत 26वें स्थान पर
बच्चों के जलवायु जोखिम सूचकांक (सीसीआरआई) के अनुसार, वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर 163 रैंक वाले देशों में से भारत 26वें स्थान पर था। इस रैंकिंग में उन देशों को शामिल किया जाता है जिनके बच्चे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा और वायु प्रदूषण जैसे जोखिमों से जूझ रहे होते हैं।
Also read CBSE Date Sheet 2025: सीबीएसई बोर्ड 10वीं, 12वीं डेटशीट cbse.gov.in पर जारी, जानें परीक्षा शेड्यूल
तीन मेगाट्रेंड्स द्वारा उत्पन्न चुनौतियां
द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024' रिपोर्ट तीन मेगाट्रेंड्स द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों को पूरा करने का आह्वान करती है-
- शहरों में बच्चों के लिए शिक्षा, स्थायित्व और सेवा में निवेश करना।
- बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, आवश्यक सेवाओं और सामाजिक सहायता प्रणालियों में बेहतर जलवायु सिस्टम (climate resilience) का विस्तार करना।
- सभी बच्चों के लिए कनेक्टिविटी और सुरक्षित प्रौद्योगिकी का खाका प्रदान करना।
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- Israel-Iran Conflict: सुरक्षा कारणों से तेहरान से भारतीय छात्रों को निकाला गया, विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी
- UP Police Joining Letter: यूपी पुलिस में एक साथ भर्ती हुए सेवानिवृत्त फौजी और उनके बेटे को मिला नियुक्त पत्र
- Teachers Protest: यूपी में 7 साल से नहीं आई कोई शिक्षक भर्ती, बेरोजगारों ने आयोग दफ्तर के बाहर किया प्रदर्शन
- NEET UG 2025: नीट यूजी आंसर की जल्द; सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए कितने मार्क्स चाहिए? जानें एम्स कटऑफ
- JEE Advanced 2025: जेईई एडवांस्ड पास करने के लिए कितने मार्क्स चाहिए? जानें कैटेगरी वाइज कटऑफ अंक
- NEET UG 2025: उत्तर प्रदेश के शीर्ष एमबीबीएस मेडिकल कॉलेज कौन से हैं? पात्रता और फीस जानें
- NEET UG 2025: नीट यूजी परीक्षा पास करने के लिए कितने मार्क्स चाहिए? जानें पिछले 3 सालों का कैटेगरी वाइज कटऑफ
- IIT Admission 2025: आईआईटी में बिना जेईई कैसे मिलेगा एडमिशन? जानें क्या-क्या हैं विकल्प
- Top Dental Colleges in India 2025: भारत के टॉप डेंटल कॉलेज कौन से हैं? एलिजिबिलिटी, रैंक, फीस जानें
- JEE Main 2025 Result: जेईई मेन सेशन 2 का रिजल्ट जल्द; जानें टॉप एनआईटी की कोर्स-वाइज ओपनिंग और क्लोजिंग रैंक