UGC ने फैकल्टी की नियुक्ति और पात्रता मानदंड में किया बदलाव; नए नियमों का ड्राफ्ट जारी
Santosh Kumar | January 6, 2025 | 08:15 PM IST | 2 mins read
शिक्षा मंत्री प्रधान ने 2025 के लिए नए यूजीसी नियमों का मसौदा जारी किया। ये नियम विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति, पदोन्नति और उच्च शिक्षा के मानकों से संबंधित हैं।
नई दिल्ली: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 6 जनवरी को यूजीसी के नए नियमों का मसौदा जारी किया। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक भर्ती के नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा की। नए नियमों के तहत अनुबंध शिक्षकों की नियुक्ति पर कोई सीमा नहीं होगी। साथ ही उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रमुख भी कुलपति पद के लिए आवेदन कर सकेंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज (6 जनवरी) नई दिल्ली में नए यूजीसी नियम 2025 का मसौदा जारी किया। ये नियम विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति, पदोन्नति और उच्च शिक्षा के मानकों से संबंधित हैं।
UGC Draft: जारी ड्राफ्ट पर मांगी गई सलाह
नए मसौदे के मुताबिक यूजीसी उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड में बड़े बदलाव करने जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजीसी की ओर से जारी ड्राफ्ट पर सलाह भी मांगी गई है।
यूजीसी विनियम, 2025 पर टिप्पणियां/सुझाव/प्रतिक्रिया इस ईमेल आईडी draft-regulations@ugc.gov.in पर भेजी जा सकती हैं। यूजीसी ने आधिकारिक वेबसाइट पर नए नियमों का मसौदा जारी कर दिया है।
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UGC Regulations: धर्मेंद्र प्रधान ने क्या कहा?
प्रधान ने यूजीसी के नए ऑडिटोरियम 'पुष्पगिरी' का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार बरनवाल, यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार, संस्थानों के प्रमुख, शिक्षाविद समेत कई लोग मौजूद थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह ड्राफ्ट उच्च शिक्षा में नवाचार, समावेशिता, लचीलापन और बदलाव लाएगा। उन्होंने एनईपी 2020 के अनुसार नए नियम तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की टीम को बधाई दी।
UGC Teachers Recruitment Rules: जारी ड्राफ्ट की मुख्य विशेषताएं
यूजीसी द्वारा जारी नए नियमों के मसौदे की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
- अभ्यर्थी उन विषयों में अध्यापन कर सकते हैं, जिनमें उन्होंने NET/SET में अर्हता प्राप्त की है, भले ही वे उनकी पिछली डिग्री से अलग हों।
- इसमें पीएचडी विशेषज्ञता को प्राथमिकता मिलेगी।
- डिग्री पाठ्यक्रम और अकादमिक लेखन में भारतीय भाषाओं के उपयोग को प्रोत्साहन।
- सिर्फ स्कोर के बजाय "उल्लेखनीय योगदान" और अन्य योग्यताओं पर जोर।
- कला, खेल और पारंपरिक विषयों के विशेषज्ञों के लिए विशेष भर्ती प्रक्रिया।
- विकलांगों और निपुण खिलाड़ियों को शिक्षण में अवसर।
- कुलपति चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यापक बनाया गया।
- शिक्षण, शोध और अकादमिक योगदान पर फोकस।
- शिक्षकों के लिए नए कौशल सीखने और विकास कार्यक्रमों पर जोर।
- नए नियमों में शिक्षकों के प्रमोशन के लिए API सिस्टम का उपयोग नहीं होगा।
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