UGC Fellowship 2024: यूजीसी ने पीएचडी फेलोशिप की बकाया राशि का दावा करने की समय सीमा 8 अक्टूबर तक बढ़ाई

यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों और फेलो से अपने लंबित बकाये का दावा करने का आग्रह किया है, जिसमें फेलोशिप राशि, मकान किराया भत्ता और अगस्त 2024 तक स्वीकार्य आकस्मिक निधि शामिल है।

यूजीसी ने हितधारकों से अपने लंबित बकाये का दावा करने का आग्रह किया। (स्त्रोत-आधिकारिक 'एक्स')

Abhay Pratap Singh | July 11, 2024 | 03:56 PM IST

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पोस्ट-डॉक्टोरल और डॉक्टरल फेलोशिप की बकाया राशि का दावा करने की समय सीमा 8 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। नोटिस में बताया गया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को लंबित बकाया राशि का दावा करने की अंतिम तिथि बढ़ाने का अनुरोध करने वाली कई अपीलें मिली हैं।

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के आधिकारिक सूचना में कहा गया कि, “यूजीसी को लंबित बकाया राशि का दावा करने की अंतिम तिथि बढ़ाने के लिए कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं। इसलिए आयोग द्वारा बकाया राशि का दावा करने की अंतिम तिथि को 8 अक्टूबर 2024 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।”

उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) और फेलो से अपने लंबित बकाया राशि का अनुरोध करने की अपील की गई है, जिसमें फेलोशिप राशि, मकान किराया भत्ता और अगस्त 2024 तक स्वीकार्य आकस्मिक निधि शामिल है। ये दावे छात्रवृत्ति फेलोशिप प्रबंधन पोर्टल (एसएफएमपी) के माध्यम से अंतिम तिथि से पहले दर्ज किए जा सकते हैं।

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यूजीसी ने नोटिस में कहा है, “हितधारकों (उच्च शिक्षा संस्थानों और फेलो) से अनुरोध है कि वे अगस्त 2024 तक अपने लंबित बकाये, फेलोशिप, मकान किराया भत्ता/ आकस्मिक व्यय का दावा 8 अक्टूबर 2024 तक छात्रवृत्ति फेलोशिप प्रबंधन पोर्टल (SFMP) पर करें।”

मार्च 2024 में केंद्र सरकार ने पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल छात्रों के लिए एक कॉमन फेलोशिप पोर्टल शुरू किया। इस पोर्टल पर यूजीसी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE)) के लिए आवेदन फॉर्म उपलब्ध हैं।

यूजीसी ने कहा है कि जिन स्कॉलर्स या नोडल अधिकारियों ने पिछली फेलोशिप दरों के लिए पहले ही आवेदन कर दिया है, उन्हें संशोधित फेलोशिप दरों के परिणामस्वरूप बकाया राशि का दावा करने के लिए आगे की कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, दिसंबर 2023 तक की अवधि से संबंधित कोई भी दावा 8 अप्रैल 2024 के बाद यूजीसी द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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