NEET PG Counselling 2024: एनएमओ ने जेपी नड्डा को लिखा पत्र, काउंसलिंग शेड्यूल में देरी पर जताई चिंता

Santosh Kumar | October 19, 2024 | 09:32 AM IST | 2 mins read

पत्र में कहा गया है कि 2021 में भर्ती हुए अधिकांश रेजिडेंट डॉक्टर जनवरी 2025 तक अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे। 2024 बैच के प्रवेश में देरी से डॉक्टरों की कमी होने की संभावना है।

इस पत्र काउंसलिंग शेड्यूल में देरी समेत सीट मैट्रिक्स जारी न होने पर चिंता जताई गई है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: नीट पीजी 2024 रिजल्ट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 25 अक्टूबर को सुनवाई कर सकता है। इस बीच नीट पीजी काउंसलिंग शेड्यूल 2024 में लगातार हो रही देरी छात्रों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। इस संबंध में नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन (एनएमओ) ने भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) को पत्र लिखा है। इसमें काउंसलिंग शेड्यूल में देरी समेत सीट मैट्रिक्स जारी न होने पर चिंता जताई गई है।

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को लिखे इस पत्र में एनएमओ ने कहा है कि 20 सितंबर को रजिस्ट्रेशन शुरू होने के बावजूद काउंसलिंग शेड्यूल, सीट मैट्रिक्स और अन्य जरूरी जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।

रेजिडेंट डॉक्टरों की संख्या में कमी

अगर इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। काउंसलिंग में देरी से रेजिडेंट डॉक्टरों और मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों में स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की संख्या में कमी आएगी।

इसमें कहा गया है कि 2021 में भर्ती किए गए अधिकांश रेजिडेंट डॉक्टर जनवरी 2025 तक अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे और 2024 बैच के प्रवेश में देरी से अनिवार्य रूप से रेजिडेंट की कमी हो जाएगी। बता दें कि नीट पीजी 2024 परीक्षा कई अनियमितताओं से घिरी हुई है।

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NEET PG Counselling 2024: काउंसलिंग में देरी से आएंगी ये समस्याएं

पत्र में नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन ने काउंसलिंग में देरी के कारण होने वाली निम्नलिखित समस्याओं पर चिंता व्यक्त की-

मानसिक तनाव: अधिकांश अभ्यर्थी एक साल से अधिक समय से परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। अब जबकि परिणाम आ चुके हैं, काउंसलिंग में देरी ने उनके लिए मानसिक तनाव बढ़ा दिया है।

वित्तीय तनाव: कई अभ्यर्थी, खास तौर पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से, काउंसलिंग में देरी के कारण अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। महीनों की कड़ी मेहनत के बाद अब उन्हें आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है।

रेजिडेंट डॉक्टरों पर दबाव: वर्तमान में, मानव संसाधन की कमी के कारण रेजिडेंट डॉक्टर अत्यधिक कार्यभार से जूझ रहे हैं। काउंसलिंग में देरी से उनका कार्यभार और बढ़ जाएगा।

भविष्य में देरी की समस्या: कोविड-19 के कारण शैक्षणिक गतिविधियों और परीक्षाओं में देरी हुई, जिसका असर 2021 बैच की काउंसलिंग पर पड़ा। यह देरी अब खाली सीनियर रेजिडेंट सीटों और रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी के रूप में सामने आ रही है।

एकल दिन-एकल सत्र: नीट पीजी 2024 को दो सत्रों में आयोजित किया गया था। एनएमओ के पत्र में भविष्य में नीट पीजी को केवल एक सत्र में आयोजित करने का अनुरोध किया गया है ताकि सभी के लिए समानता बनी रहे और भ्रम से बचा जा सके।

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