Indian Knowledge System: भारतीय ज्ञान प्रणाली पर शिक्षकों के लिए क्षमता निर्माण राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित
Abhay Pratap Singh | October 21, 2025 | 01:15 PM IST | 2 mins read
एमडीयू रोहतक के कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने नेशनल नॉलेज सिस्टम (IKS) पर अंतःविषय पहल को बढ़ावा देने में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, आईएनवाईएएस और एमडीयू के संयुक्त प्रयासों की सराहना की।
नई दिल्ली: सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (CSIR-NIScPR) ने राष्ट्रीय पहल SVASTIK के अंतर्गत “भारतीय ज्ञान प्रणाली के संचार और प्रसार” पर शिक्षकों के लिए क्षमता निर्माण राष्ट्रीय कार्यशाला (Capacity Building National Workshop) का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य वैज्ञानिक रूप से मान्य पारंपरिक ज्ञान को समाज तक पहुंचाना है।
वर्कशॉप का आयोजन 16 अक्टूबर को भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी (INYAS) के प्रमुख कार्यक्रम RuSETUp (रूरल साइंस एजुकेशन ट्रेनिंग यूटिलिटी प्रोग्राम) और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU), रोहतक के सहयोग से एमडीयू में किया गया। इस कार्यशाला में 75 विभिन्न संस्थानों के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया और सक्रिय रूप से भाग लिया।
हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (HESCO), देहरादून के संस्थापक पद्म भूषण डॉ अनिल पी जोशी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। “भारत के पर्वत पुरुष” के नाम से प्रसिद्ध डॉ जोशी ने शिक्षकों को भारत के स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान के संदर्भ में वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया।
आधिकारिक प्रेस रिलीज के अनुसार, कार्यशाला का पहला तकनीकी सत्र “भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विरासत: संरक्षण से स्थायित्व तक” पर केंद्रित था, जिसमें भारत की समृद्ध एवं विविध वैज्ञानिक विरासत तथा वर्तमान युग में इसकी निरंतरता पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की पूर्व निदेशक प्रो रंजना अग्रवाल भी उपस्थित रहीं।
दूसरे सत्र की शुरुआत सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक और स्वस्तिक टीम के डॉ. परमानंद बर्मन द्वारा पारंपरिक ज्ञान संचार पर एक इंटरैक्टिव व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ हुई। सत्र के दौरान प्रतिभागियों को संचार सामग्री डिजाइन करने और पारंपरिक प्रथाओं पर आकर्षक इन्फोग्राफिक्स, पोस्टर और लघु वीडियो बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
एमडीयू के कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने आईकेएस पर अंतःविषय पहल को बढ़ावा देने में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, आईएनवाईएएस और एमडीयू के संयुक्त प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान का सच्चा प्रसार शिक्षकों से शुरू होता है, जो समाज में प्रमुख संचारक और परिवर्तनकर्ता के रूप में कार्य करते हैं।
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- दिल्ली का भलस्वा स्लम: आधार कार्ड और गंदगी से गुम हुई शिक्षा
- Nobel Prize in Economics 2025: जोएल मोकिर, फिलिप एगियन और पीटर हॉविट को मिलेगा अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
- भारत में 33 लाख से अधिक छात्र एकल-शिक्षक स्कूलों पर निर्भर, उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक नामांकन
- Nobel Peace Prize 2025: वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार, 10 दिसंबर को समारोह
- Nobel Prize in Chemistry 2025: सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन, उमर एम याघी को मिलेगा केमिस्ट्री का नोबेल प्राइज
- Nobel Prize in Physics 2025: जॉन क्लार्क, माइकल एच डेवोरेट और जॉन एम मार्टिनिस को मिला भौतिकी का नोबेल प्राइज
- CAT 2025: कैट परीक्षा 30 नवंबर को 3 पाली में; 2 महीने में कैसे करें तैयारी? जानें एग्जाम पैटर्न, चयन प्रक्रिया
- UP News: यूपी में वजीफा से वंचित 5 लाख से अधिक छात्रों को दिवाली से पहले मिलेगी छात्रवृत्ति, सीएम योगी ने कहा
- NIRF Ranking 2025: यूनिवर्सिटी श्रेणी में डीयू 5वें स्थान पर, टॉप 20 में दिल्ली विश्वविद्यालय के 10 कॉलेज
- NIRF MBA Ranking 2025: आईआईएम अहमदाबाद शीर्ष पर बरकरार, आईआईएम लखनऊ की टॉप 5 में वापसी, देखें लिस्ट