JNU News: कुलपति का नाम बदलकर कुलगुरु रखने पर जेएनयूएसयू अध्यक्ष ने कसा तंज, कहा- नाम नहीं व्यवस्था बदलें

जेएनयूएसयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय को शौचालय और छात्रावासों को लिंग-तटस्थ बनाने पर भी विचार करना चाहिए।

जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के अध्यक्ष ने जेएनयू के फैसले पर कटाक्ष किया है। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

Santosh Kumar | June 4, 2025 | 12:34 PM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने सभी डिग्री प्रमाणपत्रों और अकादमिक अभिलेखों में 'कुलपति' शब्द की जगह 'कुलगुरु' शब्द इस्तेमाल करने का फैसला किया है। जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के अध्यक्ष ने इस कदम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सिर्फ नाम बदलने से कुछ नहीं होगा, व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन प्रतीकात्मक बदलाव करके वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटका रहा है।

यह फैसला अप्रैल में हुई जेएनयू की कार्यकारी परिषद की बैठक में लिया गया था। बैठक के रिकॉर्ड में बताया गया कि डिग्री और दूसरे शैक्षणिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के लिए 'कुलपति' की जगह अब 'कुलगुरु' शब्द इस्तेमाल किया जाएगा।

इन राज्यों में पहले हो चुका है ये बदलाव

निर्देश को परीक्षा नियंत्रक द्वारा कार्रवाई के लिए चिह्नित किया गया है। जेएनयू के एक अधिकारी ने बताया कि 'कुलगुरु' शब्द हमारी संस्कृति से जुड़ा है और यह जेंडर न्यूट्रल है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी पहले ऐसा बदलाव किया जा चुका है।

राजस्थान ने फरवरी 2025 में कुलपति और उपकुलपति के स्थान पर कुलगुरु और प्रतिकुलगुरु को अपनाने के लिए एक संशोधन पारित किया, जिसे मार्च में अनुमोदित किया गया। मध्य प्रदेश ने जुलाई 2024 में इसका अनुसरण किया।

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JNU News: जेएनयूएसयू अध्यक्ष ने क्या कहा?

जेएनयूएसयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय को शौचालय और छात्रावासों को लिंग-तटस्थ बनाने पर भी विचार करना चाहिए। साथ ही पीएचडी दाखिलों के लिए जेएनयूईई को बहाल किया जाना चाहिए।

साथ ही वंचितता अंक वापस लाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें प्रतीकात्मक इशारों से आगे बढ़कर ठोस लैंगिक न्याय की दिशा में काम करना चाहिए। परिसर में बुनियादी ढांचे की स्थिति खराब है और संस्थान को इस पर ध्यान देना चाहिए।

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