जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दंत चिकित्सा संकाय की सफल सर्जरी, बच्चे को मिली नई जिंदगी

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दंत चिकित्सा संकाय की डीन केया सरकार ने मरीज के लिए खुशी जाहिर की और सर्जिकल टीम को बधाई दी।

जेएमआई के दंत चिकित्सा संकाय को एनआईआरएफ रैंकिंग में देश के शीर्ष 10 दंत चिकित्सा संस्थानों में स्थान दिया गया है। (इमेज-आधिकारिक)

Santosh Kumar | June 26, 2024 | 03:00 PM IST

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग ने सूर्या नाम के एक छोटे बच्चे की सफल सर्जरी की। डॉ. इमरान खान की टीम ने इस सर्जरी के जरिए बच्चे को नई जिंदगी दी। उन्होंने बाइलेटरल टीएमजे एंकिलोसिस नामक स्थिति का इलाज किया, जिसमें निचले जबड़े का जोड़ खोपड़ी के आधार से गलत संरेखित हो गया था, जिससे बच्चे के लिए अपना मुंह खोलना असंभव हो रहा था।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दंत चिकित्सा संकाय की डीन केया सरकार ने मरीज के लिए खुशी जाहिर की और सर्जिकल टीम को बधाई दी। केया सरकार ने यह भी कहा कि दंत चिकित्सा संकाय के विभिन्न विभागों में कई वर्षों से इस तरह की जटिल और विशेष प्रक्रियाएं बहुत सस्ती दर पर नियमित रूप से कर रही है।

सफल सर्जरी के बाद सूर्या के पिता जितेंद्र ने बताया कि जब उनका बेटा महज 5 साल का था, तब उसकी ठोड़ी पर चोट लग गई थी, तब से उसका मुंह धीरे-धीरे कम खुलने लगा। बाद में बच्चा ऐसी अवस्था में पहुंच गया, जब वह 1 मिमी भी अपना मुंह नहीं खोल पाता था। इसके कारण वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर और कुपोषित हो गया।

जितेंद्र ने बताया कि वह कई निजी अस्पतालों में गए, जहां उन्हें बताया गया कि सर्जरी में लाखों का खर्च आएगा और चूँकि वह मजदूर है, इसलिए वह इसे वहन नहीं कर सकते थे। अंत में उसे एक डॉक्टर ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दंत चिकित्सा संकाय के ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में रेफर किया।

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यहां ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉ. इमरान खान ने बच्चे की जांच की। 7 जून, 2024 को हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के HAHC अस्पताल में सफल सर्जिकल प्रक्रिया की गई। एनेस्थेटिक चुनौतियों और सर्जिकल जोखिमों के कारण 7 घंटे लंबी सर्जरी बेहद चुनौतीपूर्ण थी।

सर्जरी में निचले जबड़े के जोड़ (टीएमजे) और खोपड़ी के आधार के बीच जुड़े हुए हड्डी के मास को हटाया गया और एक नया जोड़ बनाया गया। नया जोड़ बनाने के लिए, 5वीं और 7वीं पसली की हड्डी से कार्टिलेज को निकाला गया और सर्जरी वाली जगह पर प्रत्यारोपित किया गया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जब सूर्या किशोरावस्था और फिर वयस्कता में पहुंचे, तो निचला जबड़ा भी चेहरे की अन्य हड्डियों के साथ-साथ बढ़े।

एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व प्रोफेसर खरात एम भट्ट ने किया। सर्जिकल टीम का नेतृत्व इमरान खान ने किया, साथ में उनकी टीम के सदस्य डॉ जमील काजी, डॉ नैन्सी मैथ्यू और डॉ इकबाल भी थे। सर्जरी के उपरांत मुख्य सर्जन इमरान खान ने बताया कि सूर्या की गहन निगरानी की जाएगी और अगले कुछ महीनों से लेकर सालों तक उसके जबड़े की फिजियोथेरेपी की जाएगी।

बता दें कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दंत चिकित्सा संकाय को नवीनतम एनआईआरएफ रैंकिंग में देश के शीर्ष-10 दंत चिकित्सा संस्थानों में स्थान दिया गया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया NAAC द्वारा नई दिल्ली में A++ मान्यता प्राप्त केंद्रीय विश्वविद्यालय है।

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