शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार ने कहा, उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसमें महिला नामांकन 2014-15 में 1.57 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गया।
Abhay Pratap Singh | July 11, 2025 | 06:45 PM IST
नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय द्वारा केवड़िया (गुजरात) में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का दो दिवसीय सम्मेलन 10 और 11 जुलाई 2025 को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार, शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे।
डॉ सुकांत मजूमदार ने समापन सत्र में अपने संबोधन में कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल एकता, अनुशासन और शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास रखते थे। उन्हीं की दूरदर्शी सोच राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का आधार एक दूरदर्शी और भविष्यवादी सुधार है, जिसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा को भारतीय मूल्यों में निहित करते हुए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसमें महिला नामांकन 2014-15 में 1.57 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गया, जो 32% की वृद्धि को दर्शाता है।”
एनईपी 2020 की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए मजूमदार ने कहा कि शिक्षा में प्रौद्योगिकी के एकीकरण को SWAYAM जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से तेज किया गया है। 295 से अधिक विश्वविद्यालयों ने SWAYAM पाठ्यक्रमों के माध्यम से 40% तक शैक्षणिक क्रेडिट की अनुमति दी। एनईपी 2020 ने बहुभाषीयता को बढ़ावा दिया क्योंकि जेईई, नीट और सीयूईटी 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित किए जा रहे थे।
शिक्षा राज्य मंत्री ने आगे कहा कि एनईपी 2020 की नीतिगत पहलुओं के कारण भारत ने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। कुल 54 भारतीय संस्थानों को रैंकिंग मिली, जो 2015 से पांच गुना वृद्धि थी। छात्र-केंद्रित शिक्षा प्रणाली की आधारशिला एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) में अब 2.75 करोड़ से अधिक छात्र पंजीकृत हैं और इसमें 1,667 उच्च शिक्षा संस्थान शामिल हैं, जिनमें से कई केंद्रीय विश्वविद्यालय भी हैं।
पीआईबी के अनुसार, सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कुलपतियों के साथ हुई चर्चा थी, जिसमें उन्होंने एनईपी 2020 के प्रमुख स्तंभों - पहुंच (Access), समानता (Equity), गुणवत्ता (Quality), सामर्थ्य (Affordability) और जवाबदेही (Accountability) पर चर्चा की। यह विचार-विमर्श संस्थागत संचालन, शैक्षणिक नवाचार, डिजिटल शिक्षा, शोध उत्कृष्टता और वैश्विक सहयोग जैसे विषयों पर केंद्रित रहा। ये चर्चाएं उनके अपने विश्वविद्यालयों में एनईपी 2020 सुधारों को लागू करने और उससे सीखने के व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित थीं।
कार्यक्रम की शुरुआत 10 जुलाई की सुबह योग सत्र के साथ हुई, जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के समग्र विकास और शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक संतुलन पर बल देने वाले दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित किया। यह सत्र शिक्षा में कल्याण और संतुलित जीवन दृष्टि को एकीकृत करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल रही।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), विश्वभारती, जामिया मिलिया इस्लामिया, असम विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), इग्नू, नालंदा विश्वविद्यालय, त्रिपुरा विश्वविद्यालय, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान (केएचएस) सहित कई संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
समापन सत्र में बोलते हुए सचिव (उच्च शिक्षा) डॉ. विनीत जोशी ने कहा, एनएचईक्यूएफ, एनसीआरएफ और चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को लागू करना केवल नीतिगत प्राथमिकता नहीं है, यह एक संरचनात्मक बदलाव है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली और भारतीय भाषाएम केवल सांस्कृतिक विरासत नहीं हैं, वे अकादमिक शक्ति और पहचान के स्रोत हैं। हमें पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) से संबंधित संसाधनों से पुस्तकालयों को समृद्ध करने, ज्ञान क्लब, भाषा प्रयोगशालाएं एवं नवाचार के लिए इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।