मोटे अनाजों पर जोर देने से उत्तराखंड में किसानों की आय 20% तक बढ़ी: आईआईएम काशीपुर
रिपोर्ट में कहा गया कि बाजार में बाजरा फसलों की मांग बढ़ी है, लेकिन अधिकतर किसान लाभ कमाने के बजाय अपने उपयोग के लिए बाजरा उगा रहे हैं।
Abhay Pratap Singh | March 18, 2024 | 07:55 PM IST
नई दिल्ली: भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर (आईआईएम काशीपुर) द्वारा एक अध्ययन से पता चला कि उत्तराखंड में 75 प्रतिशत बाजरा किसानों की वार्षिक आय 10 प्रतिशत से 20% के बीच बढ़ गई है। आईआईएम काशीपुर द्वारा यह अध्ययन बाजरा का उत्पादन करने वाले 2,100 से अधिक किसानों पर किया गया है।
चार सीनियर प्रोफेसरों और पांच डेटा संग्राहकों द्वारा किए गए 6 माह के अध्ययन, "उत्तराखंड में बाजरा उत्पादन: इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और विपणन चुनौतियों का एक अनुभवजन्य विश्लेषण" को आईआईएम काशीपुर ने जारी किया है। बताया गया कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर बाजरा आधारित उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी गई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 ने दुनिया भर में एक टिकाऊ फसल के रूप में बाजरा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में कहा गया कि बाजार में बाजरा फसलों की मांग बढ़ी है, लेकिन किसान इससे अनजान हैं। इसके अलावा, अधिकांश किसान लाभ कमाने के बजाय अपने उपयोग के लिए बाजरा उगा रहे हैं।
आईआईएम काशीपुर के सहायक प्रोफेसर शिवम राय ने कहा कि, “स्वयं उपयोग के लिए बाजरा उगाने वाले ज्यादातर किसान इसे चावल और गेहूं की तरह धन फसल के रूप में उपयोग नहीं कर रहे हैं। बाजरा एक टिकाऊ फसल है जो न केवल पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक है बल्कि भंडारण में भी आसान है और मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाती है।”
बाजरा उत्पादन की विपणन क्षमता की चुनौतियों का समाधान करने और आर्थिक स्थिति बढ़ाने व प्रभावी रणनीतियों की पहचान करने के लिए यह अध्ययन किया गया था। अध्ययन में कहा गया कि उत्तराखंड में बाजरा उत्पादन सामाजिक-आर्थिक योगदान और कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाजरा अन्य फसलों पर उनकी निर्भरता को कम करके उनकी खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ाता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि, "बाजरा की खेती कृषि पद्धतियों की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करती है, जिससे जैविक खाद्य प्रणाली अधिक लचीली बनती है।" अध्ययन में हितधारकों का समर्थन करने के लिए विभिन्न लघु और दीर्घकालिक रणनीतियों को लागू करने की सिफारिश भी की गई।
बताया गया कि हाल ही में राज्य सरकार ने मड़वा किस्म की बाजरा फसल का एमएसपी 35.78 रुपये किग्रा करने की घोषणा की है, लेकिन किसानों को इसकी जानकारी नहीं है। इसका फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं। आगे कहा गया कि हरित क्रांति के बाद बाजरा की भूमि खेती का क्षेत्र 40 से घटकर 20% हो गया है।
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- DUSU Election 2024: डूसू चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव पद के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी
- Top 10 Engineering Colleges: भारत के टॉप 10 सबसे सस्ते इंजीनियरिंग कॉलेज कौन से हैं? पात्रता और शुल्क जानें
- NEET PG 2024 Results: नीट पीजी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 20 सितंबर को सुनवाई, मानसिक तनाव से जूझ रहे छात्र
- जीएसवी और मोनाश विवि ऑस्ट्रेलिया ने रेलवे इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं शिक्षा में सहयोग के लिए एमओयू साइन किया
- Rajasthan News: राजस्थान में पांच वर्षों में 10 लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार - मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
- DU UG Admission 2024: डीयू यूजी स्पॉट राउंड 1 पंजीकरण आज से admission.uod.ac.in पर शुरू, अंतिम तिथि 19 सितंबर
- UP DElEd Admission 2024: यूपी डीएलएड पंजीकरण updeled.gov.in पर आज से शुरू, 9 अक्टूबर तक करें आवेदन
- Melbourne University ने दिल्ली में खोला अपना पहला ग्लोबल सेंटर, शैक्षिक सहयोग को मिलेगा बढ़ावा
- CGBSE 10th Supplementary Result 2024: सीजीबीएसई 10वीं सप्लीमेंट्री रिजल्ट cgbse.nic.in पर जारी
- NEET MDS 2024 Cutoff: नीट एमडीएस की खाली सीटों को भरने के लिए कट-ऑफ अंक में 21.692 पर्सेंटाइल की कमी