MP News: मोबाइल फोन ढूंढने के लिए छात्राओं के कपड़े उतरवाने वाली शिक्षिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज
Press Trust of India | August 16, 2024 | 09:03 PM IST | 2 mins read
जांच के दौरान पाया गया कि शिक्षिका का कोई "यौन इरादा" नहीं था, इसलिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम को एफआईआर में शामिल नहीं किया गया।
इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक सरकारी स्कूल में छात्राओं के साथ हुई घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। आरोप है कि स्कूल की शिक्षिका ने क्लास के दौरान मोबाइल फोन बजने पर छात्राओं के कपड़े उतरवाए और उनकी तलाशी ली। पुलिस ने शुक्रवार (16 अगस्त) को इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
अधिकारी ने बताया कि अभिभावकों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, 2 अगस्त को सरकारी बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा के दौरान जब छात्राओं के मोबाइल फोन बजने पर 5 छात्राओं को शौचालय में ले जाकर उनके कपड़े उतरवाकर तलाशी ली।
मल्हारगंज पुलिस स्टेशन के प्रमुख शिव कुमार रघुवंशी ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि टीचर ने नाबालिग छात्राओं को मोबाइल फोन ढूंढने के लिए उनके कपड़े उतारने के लिए मजबूर करके कथित तौर पर "मानसिक रूप से प्रताड़ित" किया।
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पुलिस ने बताया कि टीचर के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 (महिला के कपड़े उतारने का प्रयास), 79 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) और 75 (बच्चों के साथ क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया गया है। रघुवंशी ने बताया कि पुलिस ने पीड़ितों, उनके माता-पिता और शिक्षकों के बयान दर्ज किए हैं।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि शिक्षिका का कोई "यौन इरादा" नहीं था, इसलिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम को एफआईआर में शामिल नहीं किया गया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए चिन्मय मिश्रा नामक व्यक्ति ने इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने इस मामले में प्रशासन से 7 दिन में जवाब भी मांगा था। जिसके बाद प्रशासन ने अपनी जांच तेज की और रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद मामला दर्ज किया गया। जनहित याचिका में मामले में पोक्सो अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने और ऐसी घटनाओं में त्वरित कार्रवाई करने के लिए उचित निर्देश देने की मांग की गई थी।
वहीं, दूसरी ओर आरोपी शिक्षिका जया पंवार ने अपने बचाव में कहा है कि उन्होंने केवल छात्राओं की जांच की थी और उनके कपड़े नहीं उतरवाए थे। हालांकि, जांच समिति की रिपोर्ट में उनके इस दावे को झूठा पाया गया है।
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