पीठ ने संज्ञान लिया कि ऐसे स्कूलों का इस्तेमाल दूसरे राज्यों के छात्रों को दिल्ली का निवासी होने का लाभ देने के लिए किया जा रहा है।
Press Trust of India | January 28, 2025 | 04:19 PM IST
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार (27 जनवरी) को राज्य सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को ‘डमी’ छात्रों वाले उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो छात्रों को कक्षाओं में उपस्थित हुए बिना परीक्षा में बैठने की सुविधा प्रदान करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इसे "धोखाधड़ी" करार दिया। पीठ ने कहा, "यह देखा गया है कि छात्र स्कूल में कक्षाओं में भाग नहीं लेते हैं, बल्कि कोचिंग सेंटरों में समय बिताते हैं।
इसके बावजूद, उन्हें शिक्षा बोर्ड द्वारा परीक्षा देने की अनुमति दी जाती है, जहां उन्हें अपेक्षित न्यूनतम हाजिरी दर्ज करानी होती है। इसलिए हम राज्य सरकार और सीबीएसई को इस संबंध में निरीक्षण करने का निर्देश देते हैं।’’
पीठ ने संज्ञान लिया कि ऐसे स्कूलों का इस्तेमाल दूसरे राज्यों के छात्रों को दिल्ली का निवासी होने का लाभ देने के लिए किया जा रहा है। अदालत ने दिल्ली सरकार और सीबीएसई से ऐसे स्कूलों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
अदालत ने यह निर्देश एक जनहित याचिका पर दिया। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि ‘डमी’ स्कूल की कोई अवधारणा नहीं है और दावा किया कि ‘‘फर्जी दाखिले’’ के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
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अदालत ने कहा, ‘‘हम राज्य सरकार और सीबीएसई के वकीलों को निर्देश देते हैं कि वे अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करें, जिसमें ‘डमी’ स्कूलों के संबंध में कोई भी सूचना प्राप्त होने पर की गई कार्रवाई का विवरण दिया जाए।’’
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोचिंग सेंटरों द्वारा ऐसे स्कूलों का उपयोग एक वेब-सीरीज में दिखाया गया था, जो राजस्थान के कोटा में पढ़ने वाले छात्रों पर आधारित है। अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि आपके विभाग ने इसे नहीं देखा है।’’ इस मामले की अगली सुनवाई मई में होगी।