न्यायाधीश ने कहा, "प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी की भूमिका केवल उस संपत्ति के मालिक होने तक ही सीमित थी, जहां घटना घटी थी।"
Press Trust of India | January 27, 2025 | 06:45 PM IST
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले तीन छात्रों की जुलाई 2024 में डूबने से मौत के मामले में उस इमारत के बेसमेंट के सह-मालिकों को जमानत दे दी है जिसमें एक कोचिंग सेंटर है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि आरोपियों की भूमिका संपत्ति के स्वामित्व तक ही सीमित थी और वर्तमान में उनके खिलाफ किसी भी भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं है।
जज ने कहा, "इस मामले में आरोपी अंतरिम जमानत पर हैं। पहली नजर में ऐसा लगता है कि आरोपियों की भूमिका सिर्फ उस संपत्ति के मालिक होने तक ही सीमित थी, जहां घटना हुई थी। इसके अलावा, भ्रष्टाचार से जुड़ी जांच सीबीआई के पास लंबित है।"
21 जनवरी को पारित अदालत के आदेश में कहा गया कि आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं है। जमानत देने का उद्देश्य न तो दंडात्मक है और न ही निवारक, बल्कि मुकदमे के दौरान आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित करना है।
अदालत ने कहा, ‘‘अंतरिम जमानत देने वाला 13 सितंबर, 2024 का आदेश अब उन्हीं शर्तों पर नियमित जमानत में तब्दील किया जाता है। मौजूदा मामले में जांच पूरी हो चुकी है और आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है।"
अदालत ने कहा कि अपराध गंभीर है लेकिन मालिकों की भूमिका को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ताओं पर आरोप है कि उन्होंने बेसमेंट को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किराए पर दिया, जिसकी अनुमति नहीं थ।"
Also readBomb Threat: मुंबई के स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी, ईमेल भेजने वाले ने अफजल गैंग का हाथ बताया
अदालत ने कहा कि यह सवाल कि क्या यह बीएनएस की धारा 105 और 106 के तहत अपराध है, इसका फैसला सबूतों के आधार पर किया जाएगा। आरोपियों के वकील ने 5 लाख रुपये का स्वैच्छिक योगदान देने की पेशकश की।
अदालत ने निर्देश दिया कि यह राशि मृतकों के परिवारों के लिए दो सप्ताह के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराई जाए। 27 जुलाई 2024 को राउज आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट में पानी घुसने से 3 छात्रों की मौत हो गई थी।
बेसमेंट के सह-मालिक परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह ने 2024 में जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने तर्क दिया कि वे केवल बेसमेंट के मालिक थे और घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।