Amaira Jaipur Case: सीबीएसई ने कक्षा 4 छात्रा की मौत मामले में नीरजा मोदी स्कूल को कारण बताओ नोटिस भेजा

Santosh Kumar | November 21, 2025 | 03:31 PM IST | 2 mins read

नोटिस में स्कूल से 30 दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है, जिसमें सीबीएसई गाइडलाइंस, एंटी-बुलिंग प्रोटोकॉल और पॉक्सो एक्ट के उल्लंघन का हवाला दिया गया।

सीबीएसई की दो मेंबर वाली जांच कमेटी ने अमायरा के मामले में गंभीर लापरवाही पाई है। (इमेज-एक्स/@cbseindia29)

नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल को 9 साल की क्लास 4 की स्टूडेंट अमायरा कुमार मीणा की मौत के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सीबीएसई की दो मेंबर वाली जांच कमेटी ने अमायरा के मामले में गंभीर लापरवाही पाई है। रिपोर्ट में पाया गया कि स्कूल ने बुलिंग की कई शिकायतों को नजरअंदाज किया, सेफ्टी उपायों पर ध्यान नहीं दिया और स्टूडेंट की मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज किया।

नोटिस में स्कूल से 30 दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है, जिसमें सीबीएसई गाइडलाइंस, एंटी-बुलिंग प्रोटोकॉल और पॉक्सो एक्ट के उल्लंघन का हवाला दिया गया। 1 नवंबर को चौथी मंजिल से कूदने के बाद क्लास 4 की एक स्टूडेंट की मौत हो गई।

इंस्पेक्शन में बोर्ड ने नियमों का उल्लंघन पाया

बोर्ड ने कहा कि पैनल के इंस्पेक्शन में एफिलिएशन बाय-लॉज के "बड़े वायलेशन" और बच्चों की सेफ्टी, बुलिंग प्रिवेंशन और स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर में "गंभीर कमियां" सामने आईं, और यह भी कि स्कूल "हेल्दी माहौल" बनाए रखने में फेल रहा।

बोर्ड ने स्कूल मैनेजमेंट से पूछा है कि एफिलिएशन बाय-लॉज के चैप्टर 12 के तहत पेनल्टी क्यों न लगाई जाए। इन पेनल्टी में चेतावनी और फाइन से लेकर डाउनग्रेडिंग, सस्पेंशन या एफिलिएशन वापस लेना शामिल है।

स्कूल को जवाब देने के लिए 30 दिन का समय

स्कूल को जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है, जिसके बाद सीबीएसई नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई कर सकता है। सभी सीबीएसई से जुड़े स्कूलों को अपनी परीक्षा और एफिलिएशन के सभी नियमों का पालन करना जरूरी है।

ये ज़रूरी नियम हैं जिनका स्कूलों को सेफ्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन और स्टूडेंट सेफ्टी के बारे में पालन करना होगा। सीबीएसई ने दो मेंबर की कमेटी बनाई और उसे 3 नवंबर को स्कूल के सरप्राइज इंस्पेक्शन के लिए भेजा।

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कई सेफ्टी नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट

कमेटी ने कई सेफ्टी नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट दी, जिसमें स्टूडेंट्स का आईडी कार्ड न पहनना भी शामिल है, और यह भी बताया कि स्कूल में 5,000 से अधिक स्टूडेंट्स होने के बावजूद सीसीटीवी मॉनिटरिंग की कमी थी।

कमेटी ने नेशनल गाइडलाइंस के उल्लंघन पर भी ध्यान दिलाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट, नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी और नेशनल बिल्डिंग कोड द्वारा जारी गाइडलाइंस शामिल हैं।

12 नवंबर को बच्चे के परिवार से मिलने के बाद, कमेटी ने पाया कि स्कूल ने लगभग 18 महीनों तक माता-पिता की बुलिंग की बार-बार की शिकायतों को नजरअंदाज़ किया। माता-पिता ने "सख्त एक्शन" और स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की।

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