इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. रमा ने अपने संबोधन की शुरुआत 'नमस्ते' के महत्व को समझाते हुए की। उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए हंसराज कॉलेज को चुनने के लिए प्रो. राजेश का आभार व्यक्त किया।
Santosh Kumar | July 22, 2024 | 08:24 PM IST
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय ने उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के तहत हंसराज कॉलेज के महात्मा हंसराज मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएचएमटीटीसी) के सहयोग से स्थायी भविष्य के लिए स्वयंसेवकों के योगदान पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में हंसराज कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर रमा मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में यूबीए के राष्ट्रीय समन्वयक, आईआईटी दिल्ली से प्रो. वी.के विजय उपस्थित रहे। विशेष अतिथि के रूप में डीयू के सामाजिक कार्य विभाग प्रमुख संजय रॉय भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक के रूप में यूबीए, दिल्ली विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी प्रो. राजेश ने प्रोग्राम के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. रमा ने अपने संबोधन की शुरुआत 'नमस्ते' के महत्व को समझाते हुए की। उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए हंसराज कॉलेज को चुनने के लिए प्रो. राजेश का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये युवा दिमाग किसी भी पहल का मूल होते हैं और उन्हें हमेशा अपने दिल और दिमाग में उत्साह बनाए रखना चाहिए। प्रो. रमा ने शैक्षणिक संस्थान में एक स्वयंसेवी इकाई की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
यूबीए के राष्ट्रीय समन्वयक वीके विजय ने अपने संबोधन की शुरुआत उन्नत भारत अभियान की आवश्यकता और महत्व के बारे में बताते हुए की। उन्होंने कहा, भारत सरकार के ग्रामीण हितैषी दृष्टिकोण और औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता के कारण यह ग्रामीण परिवर्तन योजना शुरू की गई है।
उन्होंने पीपीटी के माध्यम से उन्नत भारत अभियान के तहत समाज के तकनीकी, सामाजिक और प्रबंधन हस्तक्षेपों को समझाया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर हमें 2047 में विकसित भारत की कल्पना करनी है, तो भारतीय गांवों को सशक्त बनाने की सख्त जरूरत है।
कार्यक्रम में डीयू के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग की प्रमुख नीरा अग्निमित्रा ने बताया कि यूबीए ने डीयू में कैसे काम किया है। उन्होंने यूबीए, डीयू के तहत गांवों को चुनने के लिए आवश्यकता आकलन प्रक्रिया के बारे में बात की। उन्होंने इस क्षेत्र में कार्योन्मुखता नहीं बल्कि प्रक्रिया उन्मुखता पर काम करने पर जोर दिया। अंत में डीसीईई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गीता मिश्रा ने सभी का आभार व्यक्त किया।