Bharat Bandh News: 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी कल देशव्यापी हड़ताल पर, शिक्षण संस्थानों पर क्या पड़ेगा असर?

Santosh Kumar | July 8, 2025 | 06:00 PM IST | 2 mins read

देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगियों ने सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया है।

हड़ताल से सरकारी और निजी संस्थानों के साथ-साथ यातायात और शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
हड़ताल से सरकारी और निजी संस्थानों के साथ-साथ यातायात और शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग निर्माण समेत कई क्षेत्रों में काम करने वाले 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी कल यानी 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल पर रहने वाले हैं। इस हड़ताल के कारण देशभर में आवश्यक सेवाएं प्रभावित होने की आशंका है। श्रमिक संगठन विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हड़ताल से सरकारी और निजी संस्थानों के साथ-साथ यातायात और शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है। प्रशासन स्थिति पर नजर रखे हुए है।

देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगियों ने सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ भारत बंद हड़ताल का आह्वान किया है। यूनियनों का कहना है कि ये नीतियां सिर्फ बड़े कॉरपोरेट के हित में हैं।

Bharat Bandh: स्कूल-कॉलेज खुले रहेंगे या नहीं?

एक बयान में उन्होंने इस हड़ताल को बड़ी सफलता बनाने की अपील की है और कहा है कि संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों की यूनियनों ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। भारत बंद से देशभर में कई जरूरी सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है।

भारत बंद के दौरान स्कूल, कॉलेज और निजी कार्यालय खुले रह सकते हैं। ट्रेड यूनियन फोरम ने हड़ताल का कारण सरकार द्वारा पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित न करना तथा श्रमिकों के हितों के विरुद्ध निर्णय लेना बताया है।

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आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ी

यूनियनों का कहना है कि 4 श्रम संहिताओं को लागू करके सरकार यूनियन की गतिविधियों को कमजोर कर रही है तथा नियोक्ताओं को लाभ पहुंचा रही है। मंच ने यह भी आरोप लगाया कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है।

यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकारी विभागों में युवाओं को नियमित नियुक्तियां देने के बजाय सेवानिवृत्त लोगों को भर्ती करने की नीति अपनाई जा रही है, जैसा कि रेलवे, एनएमडीसी लिमिटेड, इस्पात क्षेत्र और शिक्षण संवर्गों में देखा जा रहा है।

इनपुट-पीटीआई

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