Viksit Bharat: राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने आईआईएम, आईआईटी संस्थानों की संख्या बढ़ाने की मांग की

चर्चा के दौरान कहा गया कि, देश में आईआईएम, आईआईटी जैसे संस्थानों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और इनका अपग्रेडेशन भी करते रहना चाहिए।

भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पर आज राज्यसभा में चर्चा हुई। (इमेज-आधिकारिक वेबसाइट/आईआईएम लखनऊ)

Press Trust of India | August 20, 2025 | 04:45 PM IST

नई दिल्ली: विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए उच्च शिक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने कहा कि देश में आईआईएम, आईआईटी जैसे संस्थानों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और इनका अपग्रेडेशन भी करते रहना चाहिए। गुवाहाटी में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) की स्थापना के प्रावधान वाले भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पर आज राज्यसभा में चर्चा हुई।

इस चर्चा में हिस्सा लेते हुए असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने कहा ‘‘असम में भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना के लिए यह विधेयक लाया गया है जिसके लिए 554 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।’’ उन्होंने कहा कि यह संस्थान राज्य के लिए बेहद उपयोगी होगा। उन्होंने कहा ‘‘राज्य की आईआईएम के लिए पुरानी मांग पूरी हो रही है। पूर्वोत्तर के हर हिस्से से छात्र पढ़ने के लिए गुवाहाटी आते हैं। पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों में भी ऐसे संस्थानों की स्थापना की जानी चाहिए।’’

भाजपा की गीता उर्फ चंद्रप्रभा ने कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं। उन्होंने कहा कि हर दिन देश में औसतन दो नए कालेज और एक आईटीआई की स्थापना हुई है। उन्होंने कहा ‘‘2013 में देश में केवल 9 आईआईएम थे जिनकी संख्या आज 22 हो चुकी है। असम में अब तक कोई आईआईएम नहीं था। अब सरकार राज्य में आईआईएम खोल रही है जिससे असम के छात्रों को इसकी शिक्षा के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।’’

बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने कहा कि यह देश युवाओं का देश है और उनकी संख्या को देखते हुए आईआईएम, आईआईटी जैसे संस्थानों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। अन्नाद्रमुक के डॉ एम थंबीदुरै ने कहा ‘‘उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जानी चाहिए लेकिन इनका संचालन भी नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में ऐसा नहीं हो रहा है जहां सत्ताधारी दल ने ऐसे संस्थानों में या तो अपने प्रति निष्ठा रखने वालों को नियुक्त किया है या संस्थानों में नियुक्ति ही नहीं की है।

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि आईआईएम, आईआईटी जैसे संस्थानों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि कई छात्र इनमें पढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे संस्थानों में शुल्क भी किफायती होना चाहिए। पटेल ने कहा कि ऐसे संस्थानों का उन्नयन भी होते रहना चाहिए और विश्व भर में ये संस्थान सर्वश्रेष्ठ होने चाहिए। भाजपा के नरेश बंसल ने कहा कि यह विधेयक मोदी सरकार की ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म (सुधार, प्रदर्शन और रूपांतरण)’ की नीति का परिचायक है जो यह भी बताता है कि पूर्वोत्तर के विकास पर मोदी सरकार कितना ध्यान दे रही है।

उन्होंने कहा ‘‘दुख की बात है कि जिस असम की आबादी तीन करोड़ है वहां आज तक कोई आईआईएम नहीं था जबकि साढ़े पांच लाख युवा उच्च शिक्षा के लिए पंजीकृत हैं। नया संस्थान इन युवाओं के सपनों को पंख लगाएगा।’’ इसी पार्टी के रामभाई हरजीभाई मोकरिया ने कहा ‘‘यह संस्थान न केवल शिक्षा के क्षेत्र में भारत को सशक्त बनाएगा बल्कि रोजगार सृजन में भी इसकी भूमिका होगी।’’

भाजपा के ही डॉ के लक्ष्मण ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पूर्वोत्तर के हर राज्य की राजधानी में नयी दिल्ली की तरह सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि नए संस्थान की स्थापना के बाद असम के साथ साथ पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के छात्रों को लाभ मिलेगा।

बसपा के रामजी ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए उच्च शिक्षा बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि उप्र में बसपा के शासनकाल में कई शिक्षण संस्थान खोले गए लेकिन बाद में यह गति थम गई। उन्होंने कहा कि शोध के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी को दी जाने वाली छात्रवृत्ति को रोकना नहीं चाहिए, यह छात्रवृत्ति दी जानी चाहिए। चर्चा में भाजपा के कणाद पुरकायस्थ, रामेश्वर तेली, वाईएसआरसीपी के गोला बाबूराव और बीआरएस के रविचंद्र वद्दीराजू ने भी हिस्सा लिया।

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