Education News: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक स्थापित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी

Press Trust of India | December 13, 2025 | 01:27 PM IST | 1 min read

प्रस्तावित विधेयक जिसे पहले भारत का उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक नाम दिया गया था, अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा।

एनईपी-2020 में कहा गया है कि उच्च शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए नियामक व्यवस्था में व्यापक सुधार जरूरी है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
एनईपी-2020 में कहा गया है कि उच्च शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए नियामक व्यवस्था में व्यापक सुधार जरूरी है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूजीसी और एआईसीटीई जैसे निकायों की जगह उच्च शिक्षा नियामक निकाय स्थापित करने वाले विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। प्रस्तावित विधेयक जिसे पहले भारत का उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक नाम दिया गया था, अब विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा।

एकल उच्च शिक्षा नियामक का उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को प्रतिस्थापित करना है।

मेडिकल, लॉ कॉलेज इसके दायरे से बाहर

यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा, एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा और एनसीटीई शिक्षक शिक्षा की देखरेख करती है। प्रस्तावित आयोग उच्च शिक्षा का एकल नियामक होगा, लेकिन मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे से बाहर रहेंगे।

इसके मुख्य कार्य विनियमन, मान्यता और व्यावसायिक मानक निर्धारण करना होंगे। वित्त पोषण, जिसे चौथा क्षेत्र माना जाता है, अभी तक नियामक के अधीन प्रस्तावित नहीं है। वित्त पोषण की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास प्रस्तावित है।

उच्च शिक्षा आयोग की अवधारणा पर पहले भी मसौदा विधेयक के रूप में चर्चा हो चुकी है। 2018 का मसौदा, जिसमें यूजीसी अधिनियम को निरस्त करने, उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना का प्रावधान था, जिसे सार्वजनिक किया गया था।

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जुलाई 2021 में शिक्षा मंत्री बने धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में उच्च शिक्षा आयोग को लागू करने के प्रयास फिर शुरू हुए। एनईपी-2020 में कहा गया है कि उच्च शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए नियामक व्यवस्था में व्यापक सुधार जरूरी है।

इसमें यह भी कहा गया है कि नए तंत्र में विनियमन, मान्यता, वित्तपोषण और शैक्षणिक मानक तय करने जैसे अलग-अलग कार्य स्वतंत्र, सक्षम और अलग संस्थाओं द्वारा सुनिश्चित किए जाने चाहिए।

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