दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की टास्क फोर्स की दूसरी बैठक, शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की रोकथाम पर गहन चर्चा
Santosh Kumar | April 14, 2025 | 05:51 PM IST | 2 mins read
बैठक में शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
नई दिल्ली: छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने और उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रीय टास्क फोर्स की दूसरी बैठक नई दिल्ली में हुई। बैठक की अध्यक्षता भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट ने की। बैठक में शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
राष्ट्रीय टास्क फोर्स की दूसरी बैठक में अब तक की गई कार्रवाई रिपोर्ट पर चर्चा की गई। एजेंडे में पोर्टल/वेबसाइट बनाना, प्रश्नावली का प्रसार करना, विभिन्न मंत्रालयों और संस्थानों के बीच समन्वय स्थापित करना जैसे मुद्दे शामिल थे।
बता दें कि टास्क फोर्स छात्रों की आत्महत्या के पीछे के कारणों की पहचान करने और उन्हें रोकने के उपायों पर काम कर रही है। छात्रों की आत्महत्या से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है।
टास्क फोर्स के मुख्य उद्देश्य
24 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने का आदेश जारी किया। इसके बाद टास्क फोर्स का गठन किया गया जिसमें कई विशेषज्ञ और अधिकारी शामिल हैं।
टास्क फोर्स का लक्ष्य छात्रों की आत्महत्या के कारणों की पहचान करना है, जैसे शैक्षणिक दबाव, भेदभाव, आर्थिक समस्याएं और मानसिक स्वास्थ्य। टीम मौजूदा नियमों की समीक्षा भी करेगी और सुधार की सिफारिश करेगी।
तीन कार्य समूह बनाने का फैसला
शैक्षणिक संस्थानों में सहयोगात्मक माहौल बनाने के लिए बैठक में निर्णय लिया गया कि तीन कार्य समूह बनाए जाएंगे। ये समूह अब तक की रिपोर्टों की समीक्षा, कानूनों का विश्लेषण और प्रभावी प्रश्नावली तैयार करने पर काम कर रहे हैं।
इससे पहले टास्क फोर्स की पहली बैठक 29 मार्च 2025 को वर्चुअली आयोजित की गई थी। इसमें विभिन्न हितधारकों से जानकारी जुटाने, कार्य के लिए समूह बनाने और संसाधन उपलब्ध कराने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई थी।
इस टास्क फोर्स में मनोचिकित्सक, प्रोफेसर, सामाजिक कार्यकर्ता और नीति विश्लेषक जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं। साथ ही, एमओई, सामाजिक न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय आदि के सचिव भी पदेन सदस्य के रूप में शामिल हैं।
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