'संभव नहीं': एनएमसी ने एमबीबीएस पासिंग मार्क्स को 40% करने के फैसले को पलटा
Alok Mishra | October 6, 2023 | 12:10 PM IST | 2 mins read
एनएमसी ने सीबीएमई दिशानिर्देशों में अधिसूचित दो पेपर वाले एमबीबीएस विषयों के लिए उत्तीर्ण अंकों में संशोधन वापस ले लिया है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने दो पेपर वाले एमबीबीएस विषयों के लिए उत्तीर्ण अंक घटाकर 40 प्रतिशत करने का अपना फैसला वापस ले लिया है। आयोग ने कहा कि पाठ्यक्रम आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई) दिशानिर्देशों में संशोधन "संभव नहीं है"। एनएमसी ने सितंबर में सीबीएमई दिशानिर्देशों में संशोधन को अधिसूचित किया था। संशोधन के अनुसार, एमबीबीएस उत्तीर्ण अंक 50% से घटाकर 40% कर दिया गया था। संशोधन में कहा गया, "जिन विषयों में दो पेपर होते हैं, शिक्षार्थी को उक्त विषय में उत्तीर्ण होने के लिए कुल (दोनों पेपर एक साथ) न्यूनतम 40% अंक प्राप्त करने होंगे।"
इस नए संशोधन का जिक्र करते हुए आयोग ने अब कहा है, ''विषय वस्तु पर गहन विचार के बाद यह निर्णय लिया गया है कि इस संबंध में पूर्व में किया गया बदलाव संभव नहीं है.'' उत्तीर्ण अंकों के मानदंड निम्नानुसार अधिसूचित किए गए थे:
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सीबीएमई गाइडलाइन पेज संख्या 58 |
सीबीएमई दिशानिर्देशों का संशोधित पृष्ठ 58 |
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जिन विषयों में दो पेपर होते हैं, शिक्षार्थी को उक्त विषय में उत्तीर्ण होने के लिए कुल (दोनों पेपर मिलाकर) न्यूनतम 50% अंक प्राप्त करने होंगे। |
जिन विषयों में दो पेपर होते हैं, शिक्षार्थी को उक्त विषय में उत्तीर्ण होने के लिए कुल (दोनों पेपर मिलाकर) न्यूनतम 40% अंक प्राप्त करने होंगे। |
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किसी विषय में उत्तीर्ण होने के लिए मानदंड : उम्मीदवार को किसी विषय में उत्तीर्ण होने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षा में सैद्धांतिक और व्यावहारिक (प्रैक्टिकल में प्रैक्टिकल/क्लीनिकल और मौखिक परीक्षा शामिल है) में अलग-अलग 50% अंक प्राप्त करने होंगे। |
किसी विषय में उत्तीर्ण होने के लिए मानदंड: एमबीबीएस छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सैद्धांतिक और व्यावहारिक (प्रैक्टिकल में प्रैक्टिकल, क्लीनिकल और मौखिक परीक्षा) परीक्षा में अलग-अलग कुल 50% अंक और 60:40 (न्यूनतम) या 40:60 (न्यूनतम) अंक प्राप्त किया होना चाहिए, ताकि उस विषय में उत्तीर्ण घोषित किया जा सके। |
एनएमसी ने 1 अगस्त को सीबीएमई दिशानिर्देश 2023 को अधिसूचित किया था। नियमों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम, प्रवेश प्रक्रिया, शैक्षणिक कैलेंडर पर कुछ नए नियमों को जगह दी गई थी।
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