NEET UG 2025 Result: मद्रास हाईकोर्ट ने नीट पुनर्परीक्षा की याचिका खारिज की, परिणाम पर लगी रोक हटाई

Press Trust of India | June 6, 2025 | 03:45 PM IST | 2 mins read

याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सी कुमारप्पन ने कहा, "मौजूदा मामलों में मुझे प्रतिवादियों की ओर से कोई दुर्भावना नहीं दिखती।"

न्यायाधीश ने 17 मई को अंतरिम आदेश में एनटीए को नीट 2025 के नतीजे जारी करने से रोक दिया था। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय ने आज (6 जून) राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को परिणाम घोषित करने से रोकने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। अपनी याचिकाओं में, एस साई प्रिया और 15 अन्य छात्रों ने एनटीए को उन उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने की भी मांग की थी, जिन्होंने चेन्नई के चार केंद्रों पर परीक्षा दी।

याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सी कुमारप्पन ने कहा, "मौजूदा मामलों में मुझे प्रतिवादियों की ओर से कोई दुर्भावना नहीं दिखती। इसके अलावा, पूरे भारत में लगभग 22 लाख छात्र नीट यूजी 2025 परीक्षा में शामिल हुए हैं।"

ऐसे में अगर नीट यूजी 2025 परीक्षा को फिर से आयोजित करने की अनुमति दी जाती है तो यह देशभर के 20 लाख से अधिक छात्रों के साथ अन्याय होगा। इसलिए कोर्ट को इन याचिकाओं में कोई ठोस आधार नहीं मिला।

NEET UG 2025 Result: नीट रिजल्ट पर लगाई थी रोक

न्यायाधीश ने 17 मई को अंतरिम आदेश में एनटीए को नीट 2025 के नतीजे जारी करने से रोक दिया था। चार परीक्षा केंद्रों पर बिजली की समस्या के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद यह रोक लगाई गई थी।

न्यायमूर्ति ने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि बिजली की कमी के कारण परीक्षा केंद्रों में रोशनी कम थी। इससे माहौल खराब हुआ और छात्र ठीक से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाए, जिससे उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ।

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NEET UG Result 2025: जज ने एनटीए को दी क्लीन चिट

यह बताना जरूरी है कि बिजली की कमी अचानक हुई बारिश और तूफान की वजह से हुई। जज ने कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा, परीक्षा दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक हुई, जब चारों तरफ प्राकृतिक रोशनी मौजूद थी।

जज ने कहा कि जब एनटीए ने जांच से यह निर्धारित कर लिया है कि पुनर्परीक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है, तो इस निष्कर्ष को स्वीकार किया जाना चाहिए, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि रिपोर्ट में कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा है।

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