रिपोर्ट में कहा कि यदि कार्यभार में वृद्धि होती है तो अस्पताल या मेडिकल कॉलेज को अधिक वरिष्ठ रेजीडेंट डॉक्टर और चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए।
Press Trust of India | August 16, 2024 | 10:37 AM IST
नई दिल्ली: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के एक कार्यबल ने कहा है कि अत्यधिक काम से मेडिकल छात्रों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा होता है और यह मरीजों की सुरक्षा से समझौता भी है। इसके साथ ही कार्यबल ने रेजीडेंट डॉक्टरों को सुझाव दिया कि वे सप्ताह में 74 घंटे से अधिक काम नहीं करें और हर सप्ताह एक दिन की छुट्टी लें।
मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मेडिकल छात्रों के लिए प्रतिदिन सात से आठ घंटे की नींद सुनिश्चित करना उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
कार्यबल ने कहा कि छुट्टी के अनुरोधों पर विवेकपूर्ण तरीके से विचार किया जाना चाहिए और उन्हें अनुचित तरीके से नामंजूर नहीं किया जाना चाहिए।
कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यदि कार्यभार में वृद्धि होती है तो अस्पताल या मेडिकल कॉलेज को अधिक वरिष्ठ रेजीडेंट डॉक्टर और चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, “यह पहचानना अनिवार्य है कि स्नातकोत्तर और प्रशिक्षु डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा संबंधी कर्मियों की कमी को दूर करने के बजाय मुख्यतया अपने शैक्षिक उद्देश्यों को पूरा करें।’’
कार्यबल की रिपोर्ट के अनुसार, रैगिंग पर एनएमसी के नियमों का सख्त कार्यान्वयन भी अनिवार्य है। उसने जोर दिया कि मेडिकल कॉलेजों में कार्यशील ‘एंटी-रैगिंग’ प्रकोष्ठ होने चाहिए और रैगिंग से जुड़े तनाव को कम करने के लिए अपराधियों को सख्त दंड दिए जाने का प्रावधान हो।
कार्यबल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों मेडिकल छात्रों को ‘रोटेशन’ के आधार पर साल में कम से कम एक बार 10 दिन की छुट्टी देने पर विचार कर सकते हैं।
उसने कहा कि इससे मेडिकल छात्रों को अपने परिवार से मिलने का मौका मिलेगा। उसने ड्यूटी के दौरान मेडिकल छात्रों के लिए आरामदायक विश्राम क्षेत्र, पौष्टिक भोजन जैसी अनुकूल स्थितियों का भी आह्वान किया।