उपराष्ट्रपति का यह बयान आरएसएस द्वारा संविधान की प्रस्तावना में शामिल शब्दों ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ की समीक्षा की हाल ही में की गई मांग के संदर्भ में आया है।
Press Trust of India | July 7, 2025 | 04:23 PM IST
कोच्चि: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह है और इसे बदला नहीं जा सकता, चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले। उन्होंने कहा, "संविधान की प्रस्तावना को लेकर कई मुद्दे रहे हैं। भारतीय संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह है। चाहे आप कितनी भी कोशिश कर लें, आप अपने माता-पिता की भूमिका नहीं बदल सकते। यह संभव नहीं है।"
कोच्चि स्थित एनयूएएलएस में छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि किसी भी देश के संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ है लेकिन भारत के संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान बदलाव किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संविधान की प्रस्तावना उस समय बदली गई जब सैकड़ों और हजारों लोग जेल में थे, जो कि हमारे लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय काल यानी आपातकाल था।’’
उनका यह बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा संविधान की प्रस्तावना में शामिल शब्दों ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ की समीक्षा की हाल ही में की गई मांग के संदर्भ में आया है।
आरएसएस का कहना है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए मूल संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" जैसे शब्द नहीं थे। आरएसएस के अनुसार, ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे।
26 जून को नई दिल्ली में आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि ये शब्द बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा तैयार की गई प्रस्तावना में कभी नहीं थे।
आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।