शैक्षणिक भ्रमण पर ISRO पहुंचे अटल आवासीय विद्यालयों के छात्र, कार्यशाला का आयोजन
छात्रों ने ऑटोमेटिक लाइट, स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक, स्मार्ट डस्टबिन और फुल रोवर ड्रोन के मॉडल बनाकर अपनी रचनात्मकता दिखाई।
Santosh Kumar | October 2, 2024 | 10:42 AM IST
नई दिल्ली: अटल आवासीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को तकनीकी, कौशल और सर्वांगीण विकास के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया। इस दौरान इसरो के वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और इसरो के कार्यों पर ज्ञानवर्धक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में विद्यार्थियों ने अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कीं।
यूपी में संचालित 18 अटल आवासीय विद्यालयों में 'उत्कृष्ट अटल' कार्यक्रम के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान, मशीन निर्माण एवं ड्रोन तकनीक जैसी उन्नत गतिविधियों का आयोजन किया गया। 15 दिन के इस कार्यक्रम में छात्रों ने विशेषज्ञों से अंतरिक्ष और भारत की उपलब्धियों के बारे में सीखा।
अंतरिक्ष विज्ञान पर कार्यशाला
छात्रों ने ऑटोमेटिक लाइट, स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक, स्मार्ट डस्टबिन और फुल रोवर ड्रोन के मॉडल बनाकर अपनी रचनात्मकता दिखाई। विद्यालयों में स्पेस आर्ट और बेस्ट प्रोडक्ट डेवलपमेंट प्रतियोगिता में विजेता रहे हर विद्यालय से एक छात्र या छात्रा को "विज्ञान रत्न" की उपाधि दी गई।
सभी विजेता छात्रों को इसरो के केंद्र अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक) अहमदाबाद का दौरा कराया गया। यहां इसरो के वैज्ञानिकों ने छात्रों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और इसरो से संबंधित एक जानकारीपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया।
Also read ISRO HSFC Recruitment 2024: इसरो एचएसएफसी भर्ती नोटिफिकेशन जारी, 19 सितंबर से शुरू आवेदन
ISRO News: निदेशक ने क्या कहा?
भ्रमण के दौरान केंद्र अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक) के निदेशक नीलेश देसाई ने छात्रों को अंतरिक्ष के रहस्यों और भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों के बारे में बताया। सत्र में छात्रों से चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 के बीच अंतर और 20 जुलाई 1969 के महत्व के बारे में सवाल किए गए।
इसरो के निदेशक नीलेश देसाई ने छात्रों को अंतरिक्ष अन्वेषण के मूल सिद्धांतों से परिचित कराया। उन्होंने खगोल विज्ञान और आधुनिक अंतरिक्ष अभियानों के इतिहास पर भी विस्तार से चर्चा की। इस कार्यशाला ने न केवल छात्रों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित किया बल्कि उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी बढ़ावा दिया।
इसरो के इस आयोजन ने छात्रों की अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि बढ़ाई और उन्हें भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों पर गर्व महसूस करने का मौका दिया। इस कार्यक्रम ने छात्रों को भविष्य में अंतरिक्ष से जुड़े क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रेरित किया।
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- IIT Admission 2025: आईआईटी में बिना जेईई कैसे मिलेगा एडमिशन? जानें क्या-क्या हैं विकल्प
- Top Dental Colleges in India 2025: भारत के टॉप डेंटल कॉलेज कौन से हैं? एलिजिबिलिटी, रैंक, फीस जानें
- JEE Main 2025 Result: जेईई मेन सेशन 2 का रिजल्ट जल्द; जानें टॉप एनआईटी की कोर्स-वाइज ओपनिंग और क्लोजिंग रैंक
- GATE 2025: आईआईटी कानपुर में एमटेक प्रोग्राम के लिए गेट कटऑफ क्या होगी? रैंक, फीस और पात्रता जानें
- JEE Main 2025: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लिए जेईई मेन में कितने मार्क्स चाहिए? जानें ब्रांच वाइज कटऑफ रैंक
- JEE Advanced 2025: आईआईटी पटना के लिए जेईई एडवांस्ड में कितने मार्क्स चाहिए? ब्रांच वाइज कटऑफ रैंक जानें
- JEE Main 2025: एनआईटी जालंधर के लिए जेईई मेन में कितने अंक चाहिए? एनआईआरएफ रैंक, कटऑफ और एलिजिबिलिटी जानें
- JEE Advanced 2025: आईआईटी धारवाड़ के लिए जेईई एडवांस्ड में कितने मार्क्स चाहिए? ब्रांच वाइज कटऑफ रैंक जानें
- JEE Main 2025: एनआईटी अगरतला के लिए जेईई मेन में कितने अंक चाहिए? एनआईआरएफ रैंक, कटऑफ और एलिजिबिलिटी जानें
- JEE Advanced 2025: आईआईटी रोपड़ के लिए जेईई एडवांस्ड में कितने मार्क्स चाहिए? ब्रान्चवाइज रैंक स्कोर जानें