IIT Madras: आईआईटी मद्रास स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने ‘दुनिया का पहला सिंगल पीस 3D प्रिंटेड इंजन’ लॉन्च किया
Abhay Pratap Singh | May 30, 2024 | 02:20 PM IST | 2 mins read
इसरो चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने अग्निकुल कॉसमॉस को ‘अग्निबाण - एसओआरटीईडी’ के सफल लॉन्च पर बधाई दी है।
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) के स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने आज यानी 30 मई को ‘सिंगल-पीस 3डी-प्रिंटेड इंजन से लैस दुनिया का पहला रॉकेट’ लॉन्च किया है। यह रॉकेट श्रीहरिकोटा से सुबह 7:15 बजे लॉन्च किया गया।
अग्निबाण - सबऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर (SOrTeD) नाम के इस रॉकेट को अग्निकुल द्वारा स्थापित भारत के पहले निजी रॉकेट लॉन्च पैड धनुष से लॉन्च किया गया है। यह भारत का पहला सेमी-क्रायोजेनिक इंजन संचालित रॉकेट लॉन्च भी है। इसका उद्देश्य आंतरिक प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करना, उड़ान डेटा एकत्र करना और अग्निकुल के कक्षीय प्रक्षेपण यान, अग्निबाण के लिए प्रणालियों का प्रदर्शन सुनिश्चित करना है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने अग्निकुल को बधाई देते हुए कहा कि, “इसरो सफल प्रक्षेपण के लिए आईआईटी मद्रास के अग्निकुल कॉसमॉस की सराहना करता है। 3डी-प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को प्रदर्शित करने वाली यह उपलब्धि स्वदेशी डिजाइन और नवाचार की शक्ति को उजागर करती है।”
लॉन्च कार्यक्रम में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (आईएन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका, आईएन-स्पेस के तकनीकी निदेशक राजीव ज्योति और श्रीहरिकोटा रेंज (एसएचएआर) के निदेशक ए राज राजन शामिल हुए। संस्थापक सलाहकार सत्यनारायणन आर चक्रवर्ती और सह-संस्थापक श्रीनाथ रविचंद्रन और मोइन एसपीएम सहित अग्निकुल की टीम के प्रमुख सदस्य भी मौजूद रहे।
सत्यनारायणन आर चक्रवर्ती ने भारत के पहले सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, अंतरिक्ष प्रक्षेपण क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने की इसकी क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि, 200 से अधिक इंजीनियरों तथा इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन के साथ, अग्निकुल भारत के तकनीकी तथा आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है।
आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि ने इस उपलब्धि को महत्वाकांक्षी उद्यमियों के लिए प्रेरणा बताया तथा भारतीय स्टार्टअप्स की असीम संभावनाओं को रेखांकित किया। बताया गया कि, आईआईटी मद्रास द्वारा निर्मित अग्निकुल कॉसमॉस 2025 के अंत तक एक कक्षीय मिशन शुरू करने की योजना बना रहा है। साथ ही, नियमित उड़ानों के लिए ग्राहकों के साथ लगातार काम कर रहा है।
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- दिल्ली का भलस्वा स्लम: आधार कार्ड और गंदगी से गुम हुई शिक्षा
- Nobel Prize in Economics 2025: जोएल मोकिर, फिलिप एगियन और पीटर हॉविट को मिलेगा अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
- भारत में 33 लाख से अधिक छात्र एकल-शिक्षक स्कूलों पर निर्भर, उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक नामांकन
- Nobel Peace Prize 2025: वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार, 10 दिसंबर को समारोह
- Nobel Prize in Chemistry 2025: सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन, उमर एम याघी को मिलेगा केमिस्ट्री का नोबेल प्राइज
- Nobel Prize in Physics 2025: जॉन क्लार्क, माइकल एच डेवोरेट और जॉन एम मार्टिनिस को मिला भौतिकी का नोबेल प्राइज
- CAT 2025: कैट परीक्षा 30 नवंबर को 3 पाली में; 2 महीने में कैसे करें तैयारी? जानें एग्जाम पैटर्न, चयन प्रक्रिया
- UP News: यूपी में वजीफा से वंचित 5 लाख से अधिक छात्रों को दिवाली से पहले मिलेगी छात्रवृत्ति, सीएम योगी ने कहा
- NIRF Ranking 2025: यूनिवर्सिटी श्रेणी में डीयू 5वें स्थान पर, टॉप 20 में दिल्ली विश्वविद्यालय के 10 कॉलेज
- NIRF MBA Ranking 2025: आईआईएम अहमदाबाद शीर्ष पर बरकरार, आईआईएम लखनऊ की टॉप 5 में वापसी, देखें लिस्ट