95% भारतीय शिक्षाविद मानते हैं माइक्रो-क्रेडेंशियल बना रहे छात्रों को रोजगार के लिए सक्षम: रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, 21% भारतीय शिक्षार्थियों को एंट्री-लेवल सर्टिफिकेट पूरा करने के बाद नई नौकरी मिली और 32% को वेतन में बढ़ोतरी मिली।
Santosh Kumar | November 29, 2024 | 09:00 AM IST
नई दिल्ली: भारत में एनईपी 2020 के तहत पारंपरिक शिक्षा से कौशल आधारित शिक्षा की ओर रुझान बढ़ रहा है। हाल ही में कोर्सेरा की माइक्रो-क्रेडेंशियल इम्पैक्ट रिपोर्ट 2024 जारी की गई है। इसके अनुसार, विश्वविद्यालयों में डीन, प्रोवोस्ट, अध्यक्ष, प्रोफेसर और अन्य शिक्षकों सहित 95% भारतीय उच्च शिक्षा लीडर्स का मानना है कि माइक्रो-क्रेडेंशियल छात्रों के रोजगार के अवसरों को बेहतर बनाते हैं।
यह प्रतिशत वैश्विक औसत 87% से अधिक है, जो दर्शाता है कि भारत कौशल-आधारित शिक्षा को अपनाकर कार्यबल की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। भारत में 52% संस्थान अब अकादमिक क्रेडिट के रूप में माइक्रो-क्रेडेंशियल प्रदान करते हैं।
94% संस्थान अगले 5 वर्षों में माइक्रो-क्रेडेंशियल्स को अकादमिक क्रेडिट देने की योजना बना रहे हैं। इस कदम को NEP और NCRF का समर्थन प्राप्त है, जो छात्रों को अकादमिक और कौशल-आधारित शिक्षा के लिए क्रेडिट अर्जित करने में मदद करता है।
नौकरी के अवसर और वेतन वृद्धि
कोर्सेरा की 2023 लर्नर आउटकम रिपोर्ट माइक्रो-क्रेडेंशियल के लाभों को दर्शाती है। रिपोर्ट के अनुसार, 21% भारतीय शिक्षार्थियों को एंट्री-लेवल सर्टिफिकेट पूरा करने के बाद नई नौकरी मिली और 32% को वेतन में बढ़ोतरी मिली।
भारत में विश्वकर्मा विश्वविद्यालय (पुणे), कुमारगुरु स्कूल (कोयम्बटूर), आईएमएस गाजियाबाद और मॉडल इंस्टीट्यूट (जम्मू) जैसे विश्वविद्यालय पारंपरिक डिग्री कार्यक्रमों में माइक्रो-क्रेडेंशियल्स जोड़कर छात्रों को नौकरी के लिए तैयार कर रहे हैं।
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Coursera Report: शिक्षाविदों के सर्वेक्षण पर आधारित रिपोर्ट
कोर्सेरा की माइक्रो-क्रेडेंशियल इम्पैक्ट रिपोर्ट 2024 89 देशों के 850 से अधिक संस्थानों के 1,000 से अधिक शिक्षाविदों के सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें 180 से अधिक भारतीय लीडर्स शामिल हैं। सर्वेक्षण में 6 प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
इसमें उत्तरी अमेरिका, एशिया प्रशांत, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन, यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका शामिल हैं। शोध में पाया गया कि कुछ शैक्षिक नेताओं को माइक्रो-क्रेडेंशियल अपनाने में कठिनाई हो रही है।
इसके मुख्य कारणों में माइक्रो-क्रेडेंशियल्स की गुणवत्ता के बारे में अनिश्चितता (26%), पारंपरिक प्रथाओं में बदलाव के प्रति संकाय का प्रतिरोध (24%), और मौजूदा पाठ्यक्रम में माइक्रो-क्रेडेंशियल्स को एकीकृत करने में कठिनाई (15%) शामिल है।
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