Delhi University: भगवद्गीता पर चार पाठ्यक्रम शुरू करने के डीयू के प्रस्ताव पर विवाद, कुछ शिक्षकों ने की आलोचना

पाठ्यक्रमों का शीर्षक ‘समग्र जीवन के लिए गीता’, ‘सतत ब्रह्मांड के लिए गीता’, ‘गीता के माध्यम से नेतृत्व उत्कृष्टता’ और ‘गीता : जीवन की चुनौतियों का समाधान’ है।

कुछ शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के उद्देश्यों पर सवाल उठाया है। (स्त्रोत-ऑफिशियल एक्स/DU)

Press Trust of India | December 27, 2024 | 12:15 PM IST

नई दिल्ली: हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद्गीता पर चार मूल्यवर्धन पाठ्यक्रम पेश करने के दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के प्रस्ताव ने विवाद पैदा कर दिया है और कुछ शिक्षकों ने इस कदम की आलोचना की है। विश्वविद्यालय की मूल्य संवर्धन समिति ने प्रस्ताव को मंजूरी के लिए सिफारिश पेश की है।

सभी छात्रों के वास्ते विकल्प चुनने के लिए डिजाइन किए गए इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य जीवन के विभिन्न पहलुओं में गीता की शिक्षाओं के विषयगत अनुप्रयोगों में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।

पाठ्यक्रमों का शीर्षक ‘समग्र जीवन के लिए गीता’, ‘सतत ब्रह्मांड के लिए गीता’, ‘गीता के माध्यम से नेतृत्व उत्कृष्टता’ और ‘गीता : जीवन की चुनौतियों का समाधान’ है। इसके अलावा, डीयू ने जनजातीय अध्ययन केंद्र से स्नातक स्तर पर भारत में जनजातियों पर दो सामान्य वैकल्पिक पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है।

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डीयू की अकादमिक परिषद 27 दिसंबर को अपनी बैठक के दौरान प्रस्तावों की समीक्षा करेगी। यदि परिषद सिफारिश को मंजूरी दे देती है, तो इसे अंतिम मंजूरी के लिए विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कार्यकारी परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

हालांकि, प्रस्ताव की कई शिक्षकों ने आलोचना की है। कुछ शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के उद्देश्यों पर सवाल उठाया है, विशेष रूप से एक ही धार्मिक ग्रंथ पर आधारित चार पाठ्यक्रमों की पेशकश करने के निर्णय पर।

जीसस एंड मेरी कॉलेज की प्रोफेसर और अकादमिक परिषद की सदस्य माया जॉन ने कहा, ‘‘हालांकि, भगवद्गीता अनेक लोगों द्वारा पूजनीय है, लेकिन केवल इस पर आधारित कई पाठ्यक्रमों की पेशकश छात्रों के लिए विविध परंपराओं तक पहुंच को सीमित करती है।’’

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