UP Police Constable Exam: यूपीपीआरपीबी ने यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के संबंध में जारी किया नोटिस
Santosh Kumar | August 6, 2024 | 11:39 AM IST | 2 mins read
बोर्ड ने सॉल्वर ग्रुप और अन्य अवांछनीय तत्वों की जानकारी प्राप्त करने के लिए ईमेल आईडी और व्हाट्सएप नंबर उपलब्ध कराया है, जहां लोगों को सूचना देनी होगी।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (यूपीपीआरपीबी) ने यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 की पुनर्परीक्षा से पहले अहम नोटिस जारी किया है। बोर्ड ने परीक्षा की शुचिता बनाए रखने और सॉल्वर ग्रुप व अन्य अवांछनीय तत्वों की सूचना प्राप्त करने के लिए ईमेल आईडी और व्हाट्सएप नंबर जारी किया है।
जारी किया गया नोटिफिकेशन यूपीपीआरपीबी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। अभ्यर्थी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इस नोटिस को देख सकते हैं और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि जानकारी देने वाले व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
यूपी पुलिस कांस्टेबल री-एग्जाम परीक्षा इसी महीने यानी अगस्त में आयोजित की जाएगी। परीक्षा 23, 24, 25, 30 और 31 अगस्त 2024 को आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित की जाएगी।
बोर्ड ने सॉल्वर ग्रुप और अन्य अवांछनीय तत्वों की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक ईमेल आईडी और व्हाट्सएप नंबर उपलब्ध कराया है, जहां लोगों को सूचना देनी होगी। इसके लिए व्हाट्सएप नंबर और ईमेल आईडी नीचे दी गई है-
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ईमेल आईडी - satarkta.policeboard@gmail.com
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व्हाट्सएप नंबर- 9454457951
बता दें कि इससे पहले यूपी पुलिस कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा पेपर लीक होने के कारण रद्द कर दी गई थी। उस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि 6 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा आयोजित की जाएगी। जिसके बाद हाल ही में नई परीक्षा की तारीखों का ऐलान किया गया।
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 अभियान के जरिए यूपी पुलिस 60,244 पदों पर भर्ती करेगी। इस भर्ती में करीब 48 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए कई स्तरों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
सरकार ने सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग, जैसे प्रश्नपत्रों के लीक होने और उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ आदि को रोकने के लिए 1 जुलाई 2024 को अधिनियम अधिसूचित किया है। अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि ऐसे मामलों में 1 करोड़ का जुर्माना और आजीवन कारावास तक की सजा, दोनों हो सकती है।
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