Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एनएमसी पर लगाया 10 लाख का जुर्माना, कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का आरोप
कोर्ट ने कहा कि अनुमति लेने के लिए एक पक्ष को अदालत से अदालत तक दौड़ाना, विशेष रूप से जब संबंधित संस्थान एक नया संस्थान नहीं है और पिछले 18 वर्षों से चल रहा है, हमारे विचार में, केवल संस्थान को परेशान करने का एक प्रयास है।
Saurabh Pandey | September 11, 2024 | 01:35 PM IST
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मेडिकल कॉलेज के विस्तार के लिए मंजूरी देने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा चुनौती देने की निंदा की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनएमसी को राज्य का एक अंग होने के नाते उचित और निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। न्यायालय ने एनएमसी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, हम पाते हैं कि एनएमसी का रवैया एक मॉडल वादी (Model Litigant) जैसा नहीं है। एनएमसी राज्य का एक अंग है और उससे निष्पक्ष और उचित तरीके से कार्य करने की उम्मीद की जाती है।
एनएमसी ने केरल उच्च न्यायालय के उस निर्देश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसमें कॉलेज द्वारा अंडरटेकिंग दाखिल करने पर केएमसीटी मेडिकल कॉलेज को अनुमति देने का निर्देश दिया गया था।
एनएमसी पर 10 लाख का जुर्माना
एनएमसी की याचिका को कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए कोर्ट ने 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए इसे खारिज कर दिया। इसके साथ ही 5 लाख रुपये की लागत सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन में जमा की जाएगी, जिसका उपयोग लाइब्रेरी के उद्देश्य के लिए किया जाएगा और 5 लाख रुपये की लागत सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा की जाएगी।
मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (एमएआरबी) द्वारा 27 फरवरी को जारी पत्र द्वारा, मेडिकल कॉलेज को शुरू में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए 150 से 250 तक सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी गई थी। हालांकि, बाद के पत्र 5 अप्रैल 2023 को MARB द्वारा जारी किया गया, इसे वापस ले लिया गया। इसके बाद 29 जून 2024 के अस्वीकृति पत्र द्वारा, एमएआरबी ने प्रतिवादी-मेडिकल कॉलेज को दो कारण बताते हुए अस्वीकृति दी थी। पहला संबद्धता प्रमाणपत्र (सीओए) प्रस्तुत नहीं किया गया है और दूसरा मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
न्यायालय ने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण प्रस्ताव को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता। न्यायालय ने कहा, यदि एनएमसी को कोई संदेह था, तो वह स्पष्ट रूप से संबंधित न्यायालय से संपर्क कर सकता था और स्पष्टीकरण मांग सकता था।
अगली खबर
]विशेष समाचार
]- JEE Main 2025: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लिए जेईई मेन में कितने मार्क्स चाहिए? जानें ब्रांच वाइज कटऑफ रैंक
- JEE Advanced 2025: आईआईटी पटना के लिए जेईई एडवांस्ड में कितने मार्क्स चाहिए? ब्रांच वाइज कटऑफ रैंक जानें
- JEE Main 2025: एनआईटी जालंधर के लिए जेईई मेन में कितने अंक चाहिए? एनआईआरएफ रैंक, कटऑफ और एलिजिबिलिटी जानें
- JEE Advanced 2025: आईआईटी धारवाड़ के लिए जेईई एडवांस्ड में कितने मार्क्स चाहिए? ब्रांच वाइज कटऑफ रैंक जानें
- JEE Main 2025: एनआईटी अगरतला के लिए जेईई मेन में कितने अंक चाहिए? एनआईआरएफ रैंक, कटऑफ और एलिजिबिलिटी जानें
- JEE Advanced 2025: आईआईटी रोपड़ के लिए जेईई एडवांस्ड में कितने मार्क्स चाहिए? ब्रान्चवाइज रैंक स्कोर जानें
- JEE Advanced 2025: आईआईटी जोधपुर के लिए जेईई एडवांस में कितने अंक चाहिए? रैंक, कटऑफ और पात्रता जानें
- JEE Main 2025: एनआईटी रायपुर के लिए जेईई मेन में कितने मार्क्स चाहिए? रैंक, कटऑफ और एलिजिबिलिटी जानें
- JEE Main 2025: एनआईटी गोवा के लिए जेईई मेन में कितने मार्क्स चाहिए? रैंक, कटऑफ और एलिजिबिलिटी जानें
- JEE Main 2025: एनआईटी सूरत के लिए जेईई मेन में कितने मार्क्स चाहिए? रैंक, कटऑफ और एलिजिबिलिटी जानें