Abhay Pratap Singh | August 18, 2025 | 06:51 PM IST | 2 mins read
भाजपा ने 'इंटर्नशिप' कर रही छात्रा पर मामले को गलत तरीके से पेश करके सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।
जयपुर: राजस्थान के टोंक जिले में एक सरकारी अस्पताल में प्रशिक्षु (इंटर्न) छात्रा के बुर्का पहनने पर वहां तैनात महिला चिकित्सक से उसकी बहस हो गई। इस बहस का कथित वीडियो रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ और इंटर्न छात्रा के बीच ड्यूटी के दौरान बुर्का हटाने को लेकर बहस होती दिखाई दे रही है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिला अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं ने सोमवार को जिलाधिकारी कल्पना अग्रवाल को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें कथित तौर पर "सांप्रदायिक तनाव फैलाने वालों" के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई। भाजपा ने 'इंटर्नशिप' कर रही छात्रा पर मामले को गलत तरीके से पेश करके सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बिंदु गुप्ता ने कहा कि 'इंटर्न' को चिकित्सकीय कारणों से ड्यूटी के दौरान अपने चेहरे से नकाब हटाने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा, "अस्पताल में एक ड्रेस कोड है जो सभी पर लागू होता है। इंटर्न ने इसका पालन करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय वीडियो रिकॉर्ड करके प्रसारित कर दिया, जिससे अनावश्यक विवाद पैदा हो गया।"
डॉ. गुप्ता ने कहा, "मैंने कोई सांप्रदायिक टिप्पणी नहीं की। मैंने जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इंटर्न से इलाज के दौरान अपना चेहरा दिखाने को कहा था। अगर कोई चिकित्सीय दुर्घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी चिकित्सकों की होती है, इंटर्न की नहीं।"
टोंक के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हनुमान प्रसाद बैरवा ने कहा कि बुर्का हटाने का कोई निर्देश नहीं दिया गया था और अस्पताल के ड्रेस कोड के अनुसार केवल चेहरा ढकने वाला कपड़ा हटाने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में न तो चिकित्सक और न ही 'इंटर्न' ने अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने कहा, "हालांकि, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कल शिकायत दर्ज कराई थी। हम मामले की जांच कर रहे हैं।" महिला अस्पताल के प्रभारी डॉ. विनोद परवेरिया ने कहा कि किसी को भी बुर्का हटाने के लिए नहीं कहा गया था। डॉ. परवेरिया ने कहा, "केवल चिकित्सीय कार्यों के लिए चेहरे से पर्दा हटाया जाना चाहिए जो मानक प्रक्रिया है।"