ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन के लिए बीसीआई के शुल्क लेने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

Santosh Kumar | September 2, 2025 | 09:44 PM IST | 1 min read

न्यायमूर्ति जे.बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि बीसीआई को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च करना पड़ता है और यह शुल्क वसूलना संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने एआईबीई के आयोजन के लिए 3,500 रुपये की फीस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।(प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 सितंबर) को अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) के आयोजन के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा ली जाने वाली 3,500 रुपये की फीस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि बीसीआई को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च करना पड़ता है और यह शुल्क वसूलना संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले अधिवक्ता संयम गांधी की एक याचिका पर बीसीआई को नोटिस जारी किया था। पीठ ने कहा कि संयम गांधी को अदालत आने से पहले बीसीआई से संपर्क करने के लिए कहा गया था।

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याचिका में कहा गया है कि बीसीआई का एआईबीई शुल्क ढांचा गलत है। बीसीआई सामान्य-ओबीसी उम्मीदवारों से 3,500 रुपये और एससी-एसटी उम्मीदवारों से 2,500 रुपये ले रहा है। इसके अलावा, अन्य अतिरिक्त शुल्क भी लिए जा रहे हैं।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में भविष्य में ऐसी राशि के संग्रह पर रोक लगाने और अखिल भारतीय बार परीक्षा-2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में पहले से एकत्र की गई राशि को वापस करने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि शुल्क प्रणाली भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(जी) (व्यवसाय करने का अधिकार) के साथ-साथ अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 24(1)(एफ) का उल्लंघन करती है।

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