‘संस्कृत भाषा को भारत में घर-घर तक पहुंचाने और संचार का माध्यम बनाने की आवश्यकता है’ - आरएसएस प्रमुख भागवत

Press Trust of India | August 1, 2025 | 04:24 PM IST | 2 mins read

कवि कुलगुरु कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय में एक भवन के उद्घाटन समारोह में मोहन भागवत ने कहा कि संस्कृत को समझने और उसमें संवाद करने की क्षमता रखने में अंतर होता है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, संस्कृत भारत की सभी भाषाओं की जननी है। (इमेज-आधिकारिक एक्स/आरएसएस)
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, संस्कृत भारत की सभी भाषाओं की जननी है। (इमेज-आधिकारिक एक्स/आरएसएस)

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और इसे संचार का माध्यम बनाने तथा घर-घर तक पहुंचाने की आवश्यकता है। उन्होंने संस्कृत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की वकालत की और कहा कि यह ऐसी भाषा है जो ‘‘हमारी भावनाओं (भाव) को विकसित’’ करती है। उन्होंने कहा कि सभी को इस प्राचीन भाषा को जानना चाहिए।

नागपुर में कवि कुलगुरु कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय में एक भवन के उद्घाटन समारोह में भागवत ने कहा कि संस्कृत को समझने और उसमें संवाद करने की क्षमता रखने में अंतर होता है। संस्कृत विश्वविद्यालय को सरकारी संरक्षण मिलेगा, लेकिन जनता का संरक्षण मिलना भी जरूरी है। आगे कहा कि संस्कृत भारत की सभी भाषाओं की जननी है और इसे आगे बढ़ाने के लिए लोगों को अपने दैनिक जीवन में इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘हमें अपने दैनिक संवाद में इस भाषा को बोलना सीखना होगा। यह दैनिक संवाद की भाषा बननी चाहिए। मैंने यह भाषा सीखी है, लेकिन मैं इसे धाराप्रवाह नहीं बोल पाता। संस्कृत को हर घर तक पहुंचाने की जरूरत है और इस भाषा में संवाद जरूरी है।’’ भागवत ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर’ बनने और ‘स्वबल’ प्रदर्शित करने की आवश्यकता पर सभी एकमत हैं, जिसके लिए ‘‘हमें अपनी बुद्धि और ज्ञान का विकास करना होगा।’’

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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की ताकत उसका ‘स्वत्व’ है यानी कि आत्मनिर्भरता द्वारा स्वामित्व की भावना। ‘‘स्वत्व कोई भौतिक चीज़ नहीं, बल्कि व्यक्तिगत है और यह भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है।’’ आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संस्कृत को जानना, देश को समझने के समान है। भागवत ने विश्वविद्यालय में अभिनव भारती अंतरराष्ट्रीय अकादमिक भवन का उद्घाटन किया।

उन्होंने कहा कि पश्चिमी समाज जहां ‘‘वैश्विक बाजार’’ की बात करते हैं, वहीं ‘‘हम वैश्विक परिवार’’ की बात करते हैं, जिसकी विशेषता ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (विश्व एक परिवार है) की अवधारणा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी लोगों ने ‘‘वैश्विक बाजार’’ का विचार विकसित किया था जो अब ‘‘विफल’’ हो चुका है।

भागवत ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान 2023 में भारत द्वारा जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के बारे में बात की और बताया कि इसका विषय ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने भाषण में संस्कृत की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डाला और भाषा के विकास के लिए अपनी सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।

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