MBBS Abroad: विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई की योजना बन रहे छात्रों के लिए एनएमसी ने जारी की चेतावनी

पाठ्यक्रम की अवधि, शिक्षण की भाषा, पाठ्यक्रम या क्लीनिकल ट्रेनिंग में विसंगतियां भारत में चिकित्सा पंजीकरण के लिए अयोग्यता का कारण बन सकती हैं।

एनएमसी ने विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Abhay Pratap Singh | November 28, 2024 | 08:28 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने विदेशी विश्वविद्यालयों या संस्थानों में स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों (MBBS) में पढ़ाई की योजना बना रहे छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है। एनएमसी द्वारा जारी नोटिस में विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंस (FMGL) विनियम, 2021 में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का पालन करने पर जोर दिया गया है।

एनएमसी ने इन मानकों को पूरा करने में विफल रहने वाले संस्थानों में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए चेतावनी भी जारी की है। आयोग द्वारा यह एडवाइजरी भारत के सभी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों के प्राचार्यों और डीन को भी भेजी गई है।

अधिसूचना में कहा गया कि, “एनएमसी द्वारा जारी एडवाइजरी और चेतावनी के बावजूद कई भारतीय छात्र विदेशों में निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश चाहते हैं, जो एनएमसी द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं करते हैं और विदेशों में स्थित संस्थान या विश्वविद्यालय छात्रों को दिए जाने वाले पाठ्यक्रम, समय-सीमा और प्रशिक्षण का पालन कर रहे हैं, जो भारत में अपनाए जा रहे एनएमसी नियमों के अनुरूप नहीं हैं।”

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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने दोहराया कि 18 नवंबर 2021 की अधिसूचना के माध्यम से एफएमजीएल विनियम, 2021 जारी किया गया है, जिसमें अध्ययन की अवधि, निर्देश का माध्यम, पाठ्यक्रम, क्लीनिकल प्रशिक्षण या इंटर्नशिप/क्लर्कशिप आदि की शर्तें निर्धारित की गई हैं। भारत में एलोपैथी का अभ्यास करने के लिए पंजीकरण के लिए ये शर्तें अनिवार्य हैं।

आगे कहा गया कि, “सभी छात्र जो किसी भी विदेशी चिकित्सा संस्थानों या विश्वविद्यालयों से एमबीबीएस करने के इच्छुक हैं और उसके बाद भारत में एलोपैथी का अभ्यास करना चाहते हैं, उन्हें फिर से सलाह दी जाती है कि वे प्रवेश लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि FMGL में निर्धारित सभी शर्तें पूरी हो गई हैं।”

एनएमसी के आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, “अवधि, शिक्षण माध्यम, पाठ्यक्रम, क्लीनिकल ट्रेनिंग या इंटर्नशिप/क्लर्कशिप में कोई भी बदलाव भारत में पंजीकरण के लिए अयोग्यता का कारण बन सकता है। अयोग्यता के मामले में पूरी जिम्मेदारी केवल उम्मीदवार की होगी।”

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