NEET Controversy: नीट विवादों के बीच छात्र चुन रहे हैं ये प्राइवेट कॉलेज, MBBS की फीस केवल ₹3000
नीट यूजी 2024 परीक्षा में अनियमितताओं के कारण लाखों छात्रों की मेहनत बेकार चली गई है। इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय की ओर से आश्वासन तो दिए जा रहे हैं, लेकिन छात्र लगातार परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
Santosh Kumar | June 25, 2024 | 02:56 PM IST
नई दिल्ली: देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन पाना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इस साल करीब 24 लाख छात्र नीट यूजी परीक्षा में शामिल हुए थे। लेकिन, परीक्षा में धांधली के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। इस साल नीट यूजी में 67 छात्रों ने टॉप किया है, लेकिन एम्स में एमबीबीएस की सामान्य श्रेणी में सिर्फ 48 सीटें हैं। ऐसे में कुछ छात्र प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज एम्स, नई दिल्ली को छोड़कर दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं।
नीट यूजी 2024 परीक्षा में अनियमितताओं के कारण लाखों छात्रों की मेहनत बेकार चली गई है। इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय की ओर से आश्वासन तो दिए जा रहे हैं, लेकिन इस बीच लोग सरकारी कॉलेज छोड़कर एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए प्राइवेट कॉलेजों का रुख कर रहे हैं।
आइए आपको एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के बारे में बताते हैं। आज हम जिस कॉलेज की बात कर रहे हैं, वह प्राइवेट है, लेकिन यहां एडमिशन लेने के लिए छात्र कई एम्स छोड़कर आते हैं। दरअसल, हम जिस कॉलेज की बात कर रहे हैं उसका नाम सीएमसी वेल्लोर है।
सीएमसी वेल्लोर तमिलनाडु का एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज है। इस कॉलेज में एमबीबीएस की फीस बहुत कम है। यहां सालाना ट्यूशन फीस सिर्फ 3000 रुपये है। इसके अलावा पहले साल में एडमिशन के समय 16,600 रुपये देने होते हैं।
दूसरे साल की सालाना फीस 25,235 रुपये है। एकमुश्त भुगतान 14,435 रुपये है। सीएमसी वेल्लोर एमबीबीएस फीस प्रति वर्ष 56,330 रुपये है। इस फीस स्ट्रक्चर को देखकर कोई भी यकीन नहीं करेगा कि देश के किसी भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई इतनी सस्ती है।
बता दें कि 1900 में स्थापित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) एक अल्पसंख्यक गैर-सहायता प्राप्त संस्थान है। शुरुआत में यह एक सिंगल बेड क्लिनिक था और इसकी प्रमुख डॉ. इडा सोफिया स्कडर थीं। सोफिया एक अमेरिकी मिशनरी की इकलौती बेटी थीं। इस संस्थान में 1918 से मेडिकल की पढ़ाई चल रही है।
1942 से यहां एमबीबीएस की डिग्री दी जा रही है। चिकित्सा के क्षेत्र में यह देश ही नहीं बल्कि दुनिया का अग्रणी संस्थान है। इस संस्थान की प्रतिष्ठा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एनआईआरएफ रैंकिंग में यह तीसरे नंबर पर है। इससे ऊपर सिर्फ दो कॉलेज हैं। पहले नंबर पर एम्स दिल्ली और दूसरे नंबर पर पीजीआई चंडीगढ़ है।
जानकारी के लिए बता दें कि इस समय देश के 20 एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। लेकिन, एम्स दिल्ली को छोड़कर कोई भी अन्य एम्स देश के टॉप-10 मेडिकल कॉलेजों में भी शामिल नहीं है। यह कॉलेज तमिलनाडु में स्थित है। यहाँ नीट के नियम लागू होते हैं। नीट यूजी स्कोर के आधार पर एडमिशन मिलता है। 85 प्रतिशत सीटें स्टेट कोटे के तहत आरक्षित हैं। 15 प्रतिशत सीटें ओपन कोटे में हैं।
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