Patna University: बिहार में कॉलेज प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए लागू लॉटरी व्यवस्था पर मायावती ने साधा निशाना

पटना कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज, वाणिज्य महाविद्यालय, मगध महिला कॉलेज और पटना लॉ कॉलेज सहित कुल 5 कॉलेजों में लॉटरी सिस्टम के माध्यम से प्रिंसिपल की नियुक्ति की गई है।

मायावती ने केंद्र सरकार से मामले का संज्ञान लेकर जन व देशहित में कार्रवाई करने की बात कही। (इमेज-एक्स/@Mayawati)
मायावती ने केंद्र सरकार से मामले का संज्ञान लेकर जन व देशहित में कार्रवाई करने की बात कही। (इमेज-एक्स/@Mayawati)

Abhay Pratap Singh | July 4, 2025 | 03:43 PM IST

नई दिल्ली: बिहार के पटना विश्वविद्यालय के 5 कॉलेजों में ‘लॉटरी’ की नई व्यवस्था के तहत प्राचार्यों की नियुक्ति पर बसपा प्रमुख मायावती ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि लॉटरी के जरिए नियुक्ति व्यवस्था लागू करने के कारण केवल कला (आर्ट्स) विषयों की पढ़ाई वाले 1863 में स्थापित पटना कॉलेज में केमिस्ट्री के प्राध्यापक प्रो अनिल कुमार प्राचार्य बन गए हैं।

बसपा सुप्रीमों ने आगे कहा, बिहार विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान की प्राचार्य प्रोफेसर अल्का यादव विज्ञान की उच्च शिक्षा के लिए प्रख्यात पटना साइंस कॉलेज की नई प्रिंसिपल नियुक्त हुई हैं। इसी प्रकार की नियुक्ति वाणिज्य महाविद्यालय में भी हुई है। यहां पहली बार कला संकाय की महिला प्राध्यापक डॉ सुहेली मेहता प्राचार्य बनी हैं, हालांकि उनके विषय की पढ़ाई इस कॉलेज में नहीं होती है।

यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में कहा, “महिला शिक्षा जगत में प्रसिद्ध मगध महिला कॉलेज को लंबे इतिहास में दूसरी बार पुरुष प्रिसिंपल मिले हैं। प्रो एनपी वर्मा यहां के नए प्राचार्य होंगे, जबकि प्रो योगेन्द्र कुमार वर्मा की लॉटरी पटना लॉ कालेज के प्रिसिंपल के रूप में निकली है।”

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बसपा प्रमुख ने हमला करते हुए कहा, “इसको लेकर लोगों में उत्सुकता है कि ‘पारदर्शिता व तटस्था’ के नाम पर बिहार सरकार व वहां के चांसलर द्वारा इस प्रकार लॉटरी के माध्यम से की गई प्राचार्यों की नियुक्तियों को सही ठहरा कर क्या इस व्यवस्था को भाजपा-शासित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा?”

उन्होंने कहा कि, वास्तव में कॉलेजों के प्रिंसिपल जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी पूरी पारदर्शिता, तटस्था व ईमानदारी के साथ नियुक्ति नहीं कर पाने की अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए ही ऐसा घातक प्रयोग करना लोगों की नजर में उच्च शिक्षा व्यवस्था को सुधार का कम तथा खराब करने वाला ज्यादा प्रतीत होता है।

मायावती ने कहा, इसी परंपरा को अपनाकर आगे चलकर मेडिकल कॉलेजों, आईआईटी व अंतरिक्ष विज्ञान आदि जैसी सांइस की उच्च व विशिष्ठ संस्थाओं में भी गैर-एक्सपर्ट नियुक्त किए जायें तो यह ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए। किसी भी विशिष्ठ क्षेत्र में इस प्रकार की मनमानी वाला विकृत प्रयोग न किया जाये तो उचित है। इससे पहले कि यह रोग गंभीर होकर फैले केंद्र सरकार को इसका संज्ञान लेकर जन व देशहित में कार्रवाई करनी चाहिए।

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