Press Trust of India | August 28, 2025 | 02:34 PM IST | 2 mins read
प्रश्नकाल शुरू होते ही हटिया से भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पारित करके शिक्षा का राजनीतिकरण कर रही है।
रांची: झारखंड विधानसभा ने बीते 26 अगस्त को अपने मानसून सत्र के दौरान झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पारित कर दिया है। नए कानून के तहत, राज्यपाल राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति बने रहेंगे, जबकि उच्च शिक्षा मंत्री प्रति-कुलपति के रूप में कार्य करेंगे। अब कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल के बजाय राज्य सरकार द्वारा की जाएगी, हालांकि यह यूजीसी की पात्रता मानदंडों के अनुरूप होगा।
झारखंड विधानसभा में आज यानी 28 अगस्त को प्रश्नकाल की कार्यवाही बाधित रही और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 (Jharkhand State University Bill, 2025) एवं अन्य मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्यों के विरोध के बीच सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
प्रश्नकाल शुरू होते ही हटिया से भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पारित करके शिक्षा का राजनीतिकरण कर रही है। जायसवाल ने कहा, ‘‘यह विधेयक राज्यपाल के अधिकारों को छीनने और छात्रों के चुनाव को रोकने का एक प्रयास है। छात्र सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। यह छात्रों और शिक्षा का मुद्दा है।’’
राज्य विश्वविद्यालय विधेयक पर भाजपा एमएलए नवीन जायसवाल के सवाल का जवाब देते हुए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार ने आरोप लगाया कि विपक्ष विश्वविद्यालयों में छात्र चुनाव को लेकर भ्रम फैला रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं किया गया है।’’
इसके बाद भाजपा विधायक और सत्ता पक्ष के सदस्य दोनों आसन के निकट आ गए। विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से अपनी अपनी सीट पर वापस जाने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया। दोनों पक्षों के सदस्य सदन में हंगामा करते रहे जिसके कारण अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट चलने के बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।
इससे पहले, सुबह करीब 11:00 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को ‘भारत रत्न’ देने और विधानसभा परिसर में भीमराव आंबेडकर, सिदो-कान्हू एवं दिशोम गुरु शिबू सोरेन की प्रतिमाएं स्थापित करने की मांग की थी।