ISRO New Chief 2025: इसरो के नए चीफ डॉ वी नारायणन कौन हैं? आईआईटी खड़गपुर से संबंध और शैक्षणिक योग्यता जानें

डॉ वी नारायणन 14 जनवरी, 2025 से अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे।

डॉ वी नारायणन वर्तमान इसरो प्रमुख डॉ एस सोमनाथ का स्थान लेंगे। (स्त्रोत-आधिकारिक एक्स)

Abhay Pratap Singh | January 10, 2025 | 10:38 AM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने डॉ वी नारायणन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। डॉ वी नारायणन 14 जनवरी, 2025 को वर्तमान इसरो प्रमुख डॉ एस सोमनाथ के स्थान पर इसरो चीफ का पदभार संभालेंगे। वर्तमान में डॉ वी नारायणन लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC), तिरुवनंतपुरम के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।

इसरो के नए चीफ डॉ वी नारायणन को सरकार ने अंतरिक्ष विभाग का सचिव भी नियुक्त किया है। डॉ नारायणन 14 जनवरी, 2025 से दो वर्ष की अवधि के लिए अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। डॉ वी. नारायणन ने इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान जैसे प्रमुख रॉकेट प्रक्षेपणों पर काम किया है।

डॉ वी नारायणन ने 1989 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एमटेक किया और बाद में साल 2001 में आईआईटी खड़गपुर से ही एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की। वी. नारायणन ने एमटेक में प्रथम स्थान हासिल किया था। आईआईटी खड़गपुर ‘शिक्षा मंत्रालय’ द्वारा जारी एनआईआरएफ की इंजीनियरिंग श्रेणी में 5वें स्थान पर है।

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‘इंडिया टुडे’ के साथ साक्षात्कार के दौरान नारायणन ने कहा कि, “हमारे पास आने वाले समय में कई कार्यक्रम हैं। इनमें से एक ‘गगनयान’ है। हमें अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने से पहले कुछ मिशन पूरे करने हैं। इसके अलावा चंद्रयान-4 को भी मंजूरी मिल चुकी है। चंद्रयान-4 चंद्रमा से नमूने लेकर आएगा।”

नए इसरो प्रमुख ने कहा कि पर्याप्त चुनौतियां हैं, हर मिशन अपने आप में एक चुनौती है। ‘द हिंदू’ से बात करते हुए इसरो के नए प्रमुख ने आगामी कार्यभार को एक बड़ी जिम्मेदारी के साथ-साथ दशकों से इसरो का नेतृत्व करने वाले दिग्गजों के नक्शेकदम पर चलने का एक बड़ा अवसर बताया है।

डॉ नारायणन ने 1984 में अंतरिक्ष एजेंसी में अपना करियर शुरू किया और लॉन्च वाहनों में इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख तकनीकों को विकसित करने की दिशा में काम किया, जिसमें वर्कहॉर्स पीएसएलवी और देश का सबसे भारी LVM3 शामिल है। अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए आगामी गगनयान मिशन में संशोधित एलवीएम3 रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा।

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