हमें 100% साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता और जुनून के साथ मिशन मोड में काम करना चाहिए - धनखड़

International Literacy Day 2024 पर वाइस प्रेसिडेंट ने कहा, शिक्षा वो चीज है जो न तो चोरी की जा सकती है और न शासन इसे आपसे छीन सकता है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि सभी राज्यों को एनईपी अपनाना चाहिए। (स्त्रोत- 'एक्स'/@VPIndia)

Abhay Pratap Singh | September 8, 2024 | 05:32 PM IST

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2024 पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम प्रतिबद्धता और जुनून के साथ मिशन मोड में काम करें ताकि जल्द से जल्द 100% साक्षरता सुनिश्चित की जा सके। मुझे यकीन है कि यह हमारी सोच से भी जल्दी हासिल किया जा सकता है।

धनखड़ ने कहा कि हर कोई एक व्यक्ति को साक्षर बनाए, यह विकसित भारत के लिए महत्वपूर्ण योगदान होगा। शिक्षा वो चीज है जो न तो चोरी की जा सकती है और न शासन इसे आपसे छीन सकता है। इसमें कोई कटौती नहीं कर सकता। आप जितना इसे बांटेंगे, यह उतनी बढ़ती जाएगी।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) हमारे युवाओं को उनकी प्रतिभा और ऊर्जा का पूरा दोहन करने का अधिकार देती है, जिसमें सभी भाषाओं को उचित महत्व दिया गया है। अगर साक्षरता को जुनून के साथ आगे बढ़ाया जाए तो भारत नालंदा और तक्षशिला की तरह शिक्षा के केंद्र के रूप में अपना प्राचीन दर्जा पुनः प्राप्त कर सकता है।

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नेशनल लिटरेसी डे 2024 पर अपने संबोधन में कहा कि भाषा की समृद्धि की बात करें तो हम एक अद्वितीय राष्ट्र हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा पर बहुत जोर दिया गया है। मातृभाषा की तो बात ही अलग है क्योंकि ये वो भाषा है जिसमें हम सपने देखते हैं।

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वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया ने अपने ऑफिशियल ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैं उन राज्यों से अपील करता हूं जिन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को नहीं अपनाया है, वे इस पर पुनर्विचार करें क्योंकि यह नीति एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम है। राज्यसभा के सभापति के रूप में मैं सदस्यों को 22 भाषाओं में बोलने का अवसर देता हूं।”

राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं उनको (सदस्यों को) अपनी भाषा में भाषण देते हुए सुनता हूं तो उनकी बॉडी लैंग्वेज ही मुझे बता देती हैं कि वो क्या बोल रहे हैं। जब वे अपनी मातृभाषा में बोलते हैं तो वे सबसे अच्छे होते हैं।

वीपी धनखड़ ने आगे कहा कि जब हम किसी को साक्षर बनाते हैं, तो हम उसे आजाद करते हैं, हम उस व्यक्ति को खुद को खोजने में मदद करते हैं। हम उसे सम्मान का एहसास कराते हैं, हम निर्भरता कम करते हैं, हम स्वतंत्रता और परस्पर निर्भरता पैदा करते हैं। यह व्यक्ति को खुद की मदद करने में सक्षम बनाता है।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने भारत की संस्थाओं को कलंकित और अपमानित करने वाले लोगों को चेतावनी भी दी। धनखड़ ने लोगों से उन “गुमराह आत्माओं” को रोशनी दिखाने का आग्रह किया जो देश के प्रभावशाली विकास को स्वीकार करने में सक्षम नहीं हैं और जमीनी हकीकत को नहीं पहचान रहे हैं।

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